महागठबंधन की एकता प्रतिकात्मक है,साथ साथ दिख रहे लेकिन साथ हैं नहीं
सिटी पोस्ट लाइव ; ये तस्वीर बेहद ख़ास है. ये तस्वीर है महागठबंधन की.लोक सभा चुनाव के बाद पहलीबार महागठबंधन की ऐसी तस्वीर सामने आई है. इस तस्वीर में महागठबंधन के तमाम घटक दलों के बड़े नेता एकसाथ एक मंच पर नजर आ रहे हैं. तस्वीर से तो यहीं संदेश जाता है कि महागठबंधन इनटैक्ट है.लेकिन असली बात कुछ और है. दरअसल, लोहिया की पुन्य तिथि के बहाने महागठबंधन के तमाम नेताओं का ये जुटान हुआ है.ये नेता साथ साथ दिख तो रहे हैं लेकिन साथ साथ हैं नहीं.इस मंच से भाषण देकर निकलते ही एक दुसरे के खिलाफ मोर्चा संभालते नजर आयेगें.
दरअसल, बिहार में पांच विधान सभा और एक लोक सभा सीट के लिए उप-चुनाव हो रहा है. सीटों के बटवारे को लेकर महागठबंधन के घटक दल आपस में टकरा गए हैं. वीआइपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी जो मंच पर तेजस्वी यादव के साथ मुस्कुरा मुस्कुरा कर बातें करते नजर आ रहे हैं, थोड़ी देर में तेजस्वी यादव के खिलाफ दहाड़ते नजर आयेगें. जीतन राम मांझी जो तेजस्वी और शरद यादव के बीच में बैठे हैं, कल से आरजेडी को कोसते नजर आयेगें.दरअसल, दोनों ही पार्टियों ने बगावत कर दो सीटों पर अपना उम्मीदवार उप-चुनाव में उतार दिया है.
जाहिर लोहिया के तथाकथित चेलों की एकमंच पर यह जुटान केवल प्रतीकात्मक है. केवल दिखावे के लिए है. एकसाथ एक मंच पर बैठकर एक दुसरे को मात देने की रणनीति ये नेता बना रहे हैं. इनके मुंह पर कुछ और बातें हैं लेकिन दिल दिमाग में कुछ और चल रहा है.लोक सभा चुनाव के बाद उपेन्द्र कुशवाहा के द्वारा आयोजित कार्यक्रम के बहाने महागठबंधन के ये तमाम नेता एकसाथ नजर आ रहे हैं. लोहिया की पुण्यतिथि के बहाने महागठबंधन में एकजुटता दिखाने की भरपूर कोशिश की है.
लेकिन इस मंच से ही आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दकी ने इशारों-इशारों में ही महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़ा कर दिया.उन्होंने कहा कि आज की राजनीति में लोहिया की कमी खलती है. डॉ राममनोहर लोहिया सभी को साथ लेकर चलते थे. उन्होंने कहा कि आज ऐसे नेता की कमी है जो सबको साथ लेकर चल सके.जाहिर है उनके कहने का मतलब ये है कि मंच जो भी महागठबंधन के नेता मौजूद हैं उनमे से कोई ऐसा नहीं है, जो विपक्ष का नेत्रित्व कर सके.सबको एकसूत्र में बाँध सके.
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