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महागठबंधन में सीटें सिर्फ 40 लेकिन मांग है 60 सीटों की, कैसे होगा समझौता

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महागठबंधन में सीटें सिर्फ 40 लेकिन मांग है 60 सीटों की, कैसे होगा समझौता

सिटी पोस्ट लाइव : महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर आज हर कोई अपनी-अपनी ताकत दिखाने पर तुला हुआ है. हर दल के नेता दूसरी पार्टी से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं. पर सबसे बड़ी बात है कि दलों के पास उस सीट पर लड़ने के लिए उतने चेहरे भी नहीं हैं, जितनी सीटों की मांग की जा रही है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के सुप्रीमो जीतन राम मांझी का कहना है कि हम महागठबंधन के सबसे पुराने दल हैं. हमने महागठबंधन का साथ तब दिया जब वह मुश्किलों की दौर से गुजर रही थी. उनकी माने तो महागठबंधन के अन्य घटक दलों से उनकी पार्टी को ज्यादा सीटें मिलेंगी. ऐसे में देखना होगा कि महागठबंधन में किस पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिलती हैं.

अगर जीतन राम मांझी को मनमाफिक सीटें नहीं मिलेंगी तो वे अलग रास्ता अख्तियार करेंगे. मांझी ने अभी से ही बिगुल फूंक दिया है.वे रालोसपा जितनी सीटों की मांग कर रहे हैं. गौरतलब है कि रालोसपा 4 से 5 सीटों का दावा पहले ही कर चुकी है.छोटे बड़े घटक दलों की बढती मांग के बीच RJD ने भी 20 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस बराबरी की बात कर रही. मतलब, दोनों दल मिलकर 40 सीटों लड़ेंगे और सहयोगी दलों के लिए कोई सीट नहीं बचेगी.

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें  हैं.लेकिन कांग्रेस और राजद ने पहले ही 20-20 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा ठोंक दिया है. रालोसपा और हम पार्टी 4 से 5 सीटों की मांग कर रही है.  शरद यादव की पार्टी भी 2 सीटों पर अड़ी है. मुकेश साहनी की VIP पार्टी ने भी 2 सीट पर ताल ठोंक दी है. इसी तरह वामदल 4 सीट पर अड़ी हुई है. ऐसे में सारे दलों के दावों को देखें तो कुल 58 से 60 सीटों का दावा हो जाता है.पार्टियों के दावों की हकीकत देखें तो समझना मुश्किल हो जाएगा कि इन सीटों पर कौन लड़ेगा. मांझी की पार्टी में उनके अलावा महाचंद्र प्रसाद हैं, जो पहले मंत्री रह चुके हैं. वृषण पटेल ने पहले ही पार्टी से नाता तोड़ लिया है. मांझी के पुत्र को विधान परिषद में जगह मिल चुकी है.

 यही हाल उपेन्द्र कुशवाहा के रालोसपा का भी है.रालोसपा का हाल तो यह है कि उपेन्द्र कुशवाहा के अलावा सभी विधायकों ने पहले ही उनको झटका दे दिया है. इकलौते बचे नागमणि ने तो सीट बेचने का आरोप तक लगा दिया. वहीं, महागठबंधन में सीट पर मचे घमासान पर एनडीए को हमला करने का बड़ा मौका मिल गया है.लेकिन सच्चाई ये है कि ये बेचैनी इसलिए है क्योंकि अबतक दो बड़े घटक दलों के बीच अबतक सीटों का बटवारा नहीं हो पाया है.सूत्रों के अनुसार कांग्रेस 10 और आरजेडी 17 सीटों पर चुनाव लडेगी. बाकी बचे 13 सीटों में से सबको बांटना है.

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