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NDA के लिए LJP बहुत जरुरी है लेकिन BJP के लिए पासवान एक बड़ी चुनौती

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NDA के लिए LJP बहुत जरुरी है लेकिन BJP के लिए पासवान एक बड़ी चुनौती

सिटी पोस्ट लाइव : पिछले दो दिनों से जिस तरह से LJP ने BJP को लेकर तल्ख़ तेवर अपना लिया है ,NDA में एकबार फिर टूट की संभावना बढ़ गई है. पहले तो चिराग पासवान ने ट्विट के जरिये BJP को नसीहत और चेतावनी दी फिर सीटों के बटवारे को लेकर 31 दिसंबर तक का डेटलाइन दे दिया. 7 सीटों से कम पर समझौता नहीं करने के एलान के साथ एलजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष पशुपति पारस ने अल्टीमेटम दे दिया. संदेश साफ़ है-31 दिसम्बर तक 7 सीटें दे दो वर्ना हम आपका साथ छोड़ देगें.इतना ही नहीं लगे हाथ चिराग पासवान ने वित् मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर ये पूछ दिया- बताओं क्या फायदा हुआ नोट्बंदी से?

LJP के इस तल्ख़ तेवर से साफ़ है लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से एनडीए में फूट हो सकती है.LJP के लोकसभा में 6 सांसद हैं. पार्टी के मुखिया रामविलास पासवान खुद केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हैं.लेकिन जिस तरह से विपक्ष की तरह चिराग पासवान उसके चुनावी मुद्दे से लेकर उसकी उपलब्धियों पर सवाल उठा रहे हैं, संकेत अच्छा नहीं है. LJP एनडीए का एक मजबूत घटक दलहै. साढ़े 4 साल तक मोदी सरकार के साथ रहने वाली लोLJP की नाराजगी बिहार में होने वाले लोक सभा चुनाव की सीटों के बंटवारे को लेकर है. ये बात खुद पार्टी के संसदीय दल के नेता चिराग पासवान और बिहार के कैबिनेट मंत्री सह पार्टी के प्रदेश अधयक्ष पशुपति पारस भी कह चुके हैं. पारस ने तो बीजेपी से 7 सीटें मांगने के साथ 31 दिसम्बर तक का अल्टीमेटम भी दे दिया है, ऐसे में सवाल ये उठता है कि देश की राजनीति में विरोधियों द्वारा मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले रामविलास पासवान ने क्या एनडीए में रहते हुए सियासी हवाओं के बदलते रूख को भांप लिया है.

चिराग पासवान की चेतावनी को लेकर BJP के कान खड़े हो गए हैं. उसने उपेन्द्र कुशवाहा की तरह रामविलास पासवान को अनजर-अंदाज नहीं किया. तुरत मन-मनौव्वल में बीजेपी के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह और अरुण जेटली जुट गए. अमित शाह के साथ पासवान की बैठक भी हो गई. लेकिन इस बैठक के बाद जिस तरह से BJP-LJP दोनों के नेताओं ने चुप्पी साध ली है, जाहिर है अभीतक बात बन नहीं पाई है. दोनों असमंजस में हैं. सोंच समझ कर फैसला लेना चाहते हैं. रामविलास पासवान की गिनती एनडीए के मुख्य घटक दलों में होती है. वो बिहार समेत देश की राजनीति में दलित राजनीति का चेहरा भी हैं. बिहार में दलितों का वोट बैंक काफी प्रभावशाली माना जाता है. ऐसे में पासवान का NDA से हटना बेहद नुक्शानदेह साबित हो सकता है.

दरअसल,  चुनाव से ठीक पहले एलजेपी की नाराजगी की वजह केवल सीटों के बटवारे को लेकर ही नहीं है.बिहार में मजबूत दिख रहा महागठबंधन भी इसकी एक बड़ी वजह है. जिस तरह से हाल के दिनों में एनडीए के दो घटक हम और रालोसपा ने एनडीए का साथ छोड़ा है  रामविलास पासवान भी बड़ा फैसला ले सकते हैं. उन्हें यू टर्न लेने के लिए एक बहाना भर चाहिए, जो उन्हें मिल चूका है. पासवान के एनडीए से बाहर जाने की भरपाई कर पाना BJP के लिए आसान काम नहीं होगा. यहीं वजह है कि तुरत अमित शाह ने पासवान से मिलने के लिए समय निकाल लिया.अब तो पासवान NDA में बने रहने की कोई कीमत चुकाने की बजाय NDA में बने रहने की पूरी कीमत वसूल करेगें.

सूत्रों के अनुसार BJP ने जीतन राम मांझी से भी बातचीत शुरू कर दिया है. अगर वह पासवान को NDA में नहीं रोक पी तो उनकी भरपाई के लिए मांझी को लाने की कोशिश करेगी. हालांकि पासवान की कमी की भरपाई जीतन राम मांझी के जरिये संभव नहीं है.

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