महाराष्ट्र-हरियाणा की तरह झारखंड में भी स्थानीय मुद्दे के हावी रहने की संभावना

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महाराष्ट्र-हरियाणा की तरह झारखंड में भी स्थानीय मुद्दे के हावी रहने की संभावना

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह विकास, राष्ट्रवाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व के साथ ही स्थानीय मुद्दे भी हावी रहे, जिसके कारण दोनों राज्यों के चुनाव में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। झारखंड विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह से स्थानीय मुद्दे के हावी रहने की संभावना है। दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम बाद भाजपा नेता जहां नयी रणनीति के साथ चुनावी तैयारियों में जुट गये है, वहीं विपक्षी दल भी नये उत्साह के साथ महागठबंधन बनाकर भाजपा को सत्ता में वापस आने से रोकने की चर्चा कर रहे है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जिस तरह से दो राज्यों के चुनाव परिणाम आये है, उससे यह साबित हो गया है कि जनता ने भाजपा की नीतियों को खारिज कर दिया है और आने वाले विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह का परिणाम दोहराया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बताया कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों के नाम पर विचार-विमर्श का सिलसिला लगातार चल रहा है। 30 अक्टूबर को रांची में पार्टी की जनाक्रोश रैली होने वाली है। इस रैली के बाद गठबंधन के स्वरूप को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। भाजपा चुनाव में जहां विकास, घर-घर उज्ज्वला गैस कनेक्शन, किसानों को सहायता, शौचालय और पक्का मकान, बिजली-पानी की सुविधा के साथ ही धारा 370 को समाप्त करने के ऐतिहासिक फैसले को भुनाने की कोशिश में है, वहीं  विपक्षी दलों की ओर से सीएनटी-एसपीटी एक्ट, स्थानीय नियोजन नीति, भूमि अधिग्रहण, विस्थापन, पलायन , बेरोजगार और आर्थिक मंदी को लेकर जोर-शोर से उठाये जाने की रणनीति बनायी गयी है।

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