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TV-अखबार में नेताजी अब करेगें प्रचार – ‘हां, मैं दागी हूं’ लेकिन मेरे दाग अच्छे हैं

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TV-अखबार में नेताजी अब करेगें प्रचार – ‘हां, मैं दागी हूं’ लेकिन मेरे दाग अच्छे हैं

सिटी पोस्ट लाइव : सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर तो रोक नहीं लगाईं है.लेकिन दागी नेताओं की मुश्किलें बढ़ा दी है. अब देश में संसद और विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले ऐसे उम्मीदवारों जिनके खिलाफ  अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं, उन्हें अब चुनाव आयोग को अपने शपथपत्र में मोटे अक्षरों में लिखकर अपने ऊपर चल रहे सभी आपराधिक मुकदमों की जानकारी देनी होगी. साथ ही सभी राजनीतिक दलों को भी अब अपने ऐसे उम्मीदवारों पर चल रहे आपराधिक मामलों की जानकारी जनता तक मीडिया में विज्ञापन के जरिए पहुंचाना  होगा.

सुप्रीम कोर्ट में आज राजनीति में अपराधीकरण को लेकर 5 जजों की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया. संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने तीखे शब्दों में कहा कि भ्रष्टाचार आज राष्ट्रीय आर्थिक आतंक बन गया है. हालांकि उन्होंने अपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को राहत देते हुए यह साफ कर दिया कि सिर्फ आरोप तय होने से किसी को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता. बिना सजा हुए चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जा सकती.लेकिन कोई अपना अपराधिक रिकार्ड्स भी अब नहीं छुपा पायेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने अपराधिक छवि वाले लोग चुनाव ना जीत सकें, इसकी जिम्मेदारी संसद पर डाल दी और इस बारे में एक कानून लाने को कहा है.सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को लेकर कुछ दिशानिर्देश भी जारी किये. इन दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी राजनीतिक दलों को कहा गया है कि वे अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी पार्टी की वेबसाइट पर डालें. सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नामांकन के बाद कम से कम 3 बार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से उनके आपराधिक रिकॉर्ड का प्रचार करें.

 राजनीतिक दलों को यह हिदायत दी गई है  कि यह विज्ञापन ऐसे ही किसी अखबार में नहीं प्रकाशित किये जायेंगे, बल्कि उन इलाकों में सर्वाधिक प्रसार वाले अखबार या सबसे ज्यादा देखे-पढ़े-सुने जाने वाले मीडिया के माध्यम से इन्हें प्रसारित करना होगा. जाहिर है सुप्रीम कोर्ट ने अब कुछ जिम्मेवारी वोटरों पर भी डाली है, ताकि अब कोई यह न कह सके कि उन्हें अपने उम्मीदवार के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी नहीं है. और ऐसा एक बार नहीं बल्कि नामांकन दाखिल होने से लेकर चुनाव प्रचार के तय वक्त के बीच कम से कम 3 बार करना ही होगा.

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आज कहा है कि पैसा और बाहुबल को राजनीति से दूर रखना संसद का कर्तव्य है. दूषित राजनीति को साफ करने के लिए बड़े प्रयास करने की जरूरत है. इसके लिए संसद को ऐसा कानून बनाना चाहिए ताकि जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं वह सार्वजनिक जीवन में ना आ सकें. संसद को इस कैंसर का उपचार करना चाहिए ताकि यह लोकतंत्र के लिए नासूर ना बन जाए.सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अपराधिक रेकोर्स का प्रचार प्रसार किये जाने के निर्देश से अपराधिक रिकार्ड्स वाले नेताओं की नींद उडी हुई है.

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