नीतीश के तीर पर लालू का निशाना-‘संग्रहालय जाएगा तीर, जलेगी लालटेन’
सिटी पोस्ट लाइवः राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव इन दिनों ट्विटर पर खूब एक्टिव हैं। बीमारी उनके मिजाज को नहीं बदल पायी है और न हीं उनके राजनीतिक हमलों की धार कुंद कर पायी है। लालू आज भी उसी आक्रामक अंदाज के साथ अपने राजनीतिक दुश्मनों पर हमलावर हैं जिसके लिए वे जाने जाते रहे हैं। लालू यादव ने एक बार फिर सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। ट्वीटर पर एकबार फिर से सक्रिय हुए लालू ने नीतीश पर हमला बोलते हुए लिखा है सुनो छोटे भाई नीतीश, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तुम्हें आजकल उजालों से कुछ ज्यादा ही नफरत सी हो गयी है।
दिनभर लालू और उसकी लौ लालटेन-लालटेन का जाप करते रहते हो। तुम्हें पता है कि नहीं, लालटेन प्रकाश और रोशनी का पर्याय है। मोहब्बत और भाईचारे का प्रतीक है। गरीबों के जीवन से तिमिर हटाने का उपकरण है। लालू ने लिखा है हमने लालटेन के प्रकाश से गैरबराबरी, नफरत, अत्याचार और अन्याय का अँधेरा दूर भगाया है और भगाते रहेंगे। तुम्हारा चिह्न तीर तो हिंसा फैलाने वाला हथियार है। मार-काट व हिंसा का पर्याय और प्रतीक है। राजद सुप्रीमों ने आगे लिखा है और हां जनता को लालटेन की जरूरत हर परिस्थिति में होती है बल्ब की रोशनी से तुम बेरोजगारी, उत्पीड़न, घृणा, अत्याचार, अन्याय और असमानता का अंधेरा नहीं हटा सकते इसके लिए मोहब्बत के साथ खुले दिल और दिमाग से दिया जलाना होता है।
सुनो छोटे भाई नीतीश,
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तुम्हें आजकल उजालों से कुछ ज़्यादा ही नफ़रत सी हो गयी है। दिनभर लालू और उसकी लौ लालटेन-लालटेन का जाप करते रहते हो। तुम्हें पता है कि नहीं, लालटेन प्रकाश और रोशनी का पर्याय है। मोहब्बत और..https://t.co/odjDnNbjGm
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) May 13, 2019
समानता, शांति, प्रेम और न्याय दिलाने के लिए ख़ुद को दिया और बाती बनना पड़ता है। समझौतों को दरकिनार कर जातिवादी, मनुवादी और नफरती आँधियों से उलझते व जूझते हुए ख़ुद को निरंतर जलाए रहना पड़ता है। तुम क्या जानो इन सब वैचारिक और सैद्धांतिक उसूलों को। डरकर शॉर्टकट ढूँढना और अवसर देख समझौते करना तुम्हारी बहुत पुरानी आदत रही है।उन्होंने लिखा है तुम कहां मिसाइल के जमाने में तीर-तीर किए जा रहे हो? तीर का जमाना अब लद गया। तीर अब संग्रहालय में ही दिखेगा। लालटेन तो हर जगह जलता दिखेगा और पहले से अधिक जलता हुआ मिलेगा, क्योंकि 11 करोड़ गरीब जनता की पीठ में तुमने विश्वासघाती तीर ही ऐसे घोंपे है। बाकी तुम अब कीचड़ वाले फूल में तीर घोंपो या छुपाओ। तुम्हारी मर्जी..
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