किशनगंजः कांग्रेस के इस गढ़ में सिर्फ एक बार जीत पायी बीजेपी, मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच होती है लड़ाई
किशनगंजः कांग्रेस के इस गढ़ में सिर्फ एक बार जीत पायी बीजेपी, मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच होती है लड़ाई
सिटी पोस्ट लाइवः किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के बारे में जो सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है वो यह है कि यहां मुस्लिम उम्मीदवार हीं जीत सकते हैं। मुस्लिम बहुल इस लोकसभा क्षेत्र की 70 फीसदी आबादी मुस्लिम है। और 1957 से लेकर 2014 सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवार हीं जीतते रहे हैं। 1967 अपवाद रहा जब पीएसपी पार्टी के एमएल कपूर जीते। पहली बार यहां से कोई हिन्दू उम्मीदवार जीता था। इस लोकसभा क्षेत्र के सियासी समीकरण को समझने के लिए यह तथ्य जान लेना जरूरी है कि न सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवार यहां से जीतते आए हैं बल्कि दूसरे नंबर पर रहने वाले प्रत्याशी भी ज्यादातर मुस्लिम हीं रहे हैं।
जब भी इस लोकसभा क्षेत्र में लड़ाई दो मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच हुई तब जीत हार का अंतर बेहद कम रहा है जबकि हिन्दू और मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच टक्कर की स्थिति में जीत हार का अंतर ज्यादा रहा है। 1957 से 2014 तक बीजेपी इस सीट पर सिर्फ एक बार जीत पायी जब उसने शाहनवाज हुसैन के रूप में मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा। 1999 में बीजेपी को यह जीत मिली थी।
कब कौन जीता?
1957 मंे कांग्रेस के मो. ताहिर, 1962 में मोहम्मद ताहिर दुबारा सांसद बने। 1967 में पीएसपी पार्टी के एमएल कपूर ने चुनाव जीता। 1971 में कांग्रेस के जमीउल रहमान चुनाव जीते। 1977 में जब देश में इंदिरा हराओ का नारा चल रहा था तब लोकदल के हलीमुद्दीन अहमद चुनाव जीते। 1980 में कांग्रेस के जमीलउर रहमान 1984 मंे फिर जमीलउर रहमान जीते। 1989 में कांग्रेस के टिकट पर एमजे अकबर जीते जो हाल हीं में मीटू विवाद में फंसे और उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ा। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पत्रकार रहे एमजे अकबर बाद में बीजेपी में चले गये। 1991 में सैयद शहाबुद्दीन जनता दल से चुनाव जीते। जो बिहार में आम आदमी पार्टी की नेता रही परवीन अमानउल्लाह के पिता भी थे। 1996 में राजद के तसलीमुदीन चुनाव जीते। फिर 1998 में तस्लीमुदीन जीते। 1999 में बीजेपी के शाहनवाज हुसैन। 1957 से 2014 तक बीजेपी सिर्फ एक बार जीत पायी है। मोदी लहर में भी बीजेपी हारी थी। 2004 में फिर राजद के तस्लीमुद्दीन और 2009 में मौलाना असरारूल हक कासमी जीते। और 2014 में फिर कांग्रेस के असरारूल हक कासमी जीते।
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