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बालिका गृह रेपकांड: तेजस्वी के धरने में शामिल हुए केजरीवाल और राहुल गांधी

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सिटी पोस्ट लाइव: बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह  में नाबालिग बच्चियों से यौन शोषण के विरोध में आरजेडी  नेता तेजस्वी यादव दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठे हैं. इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में आरजेडी  नेता शामिल हुए हैं.इस धरने में  दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भी शामिल हुए हैं. राहुल गांधी के भी शामिल होने की संभावना है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी साढ़े 6 बजे धरना में शामिल होने पहुंचे.केजरीवाल ने  बालिका गृह रेपकांड की निंदा करते हुए कहा कि यह घटना सबको शर्मसार कर देनेवाली है.केजरीवाल ने बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार र निशाना साधते हुए कहा कि 34 बच्चियों का यौन शोषण होता रहा और सरकार को पता ही नहीं चला? ऐसी सरकार किस काम की.

इस रैली में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी शामिल हुए. उन्होंने सीधे सीधे नीतीश कुमार को इस घटना के लिए जिम्मेवार टहराते हुए कहा कि कैसे बेटियों के यौन शोषण के लिए सरकार ब्रजेश ठाकुर की दर्जनों संस्थाओं को करोडो करोड़ रुपये देती रही. मांझी ने कहा कि इस शर्मसार कर देनेवाली घटना की जिम्मेवारी से नीतीश कुमार नहीं बाख सकते.मांझी ने कहा कि जब नीतीश कुमार रेलमंत्री थे तो एक दुर्घटना की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था .बिहार में तो इतना बड़ा कांड हो गया क्यों नहीं दिया मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा? मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री तो इस मामले में अपने मंत्रियों को भी बचाने की कोशिश कर रहे हैं . .

गौरतलब है कि  बालिका गृह यौन शोषण मामला तब प्रकाश में आया, जब टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) की ऑडिट रिपोर्ट सामने आई. 31 मई को बिहार सरकार को सौंपी गई. इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कैसे इन बालिका गृह में छोटी-छोटी बच्चियों का शोषण किया जाता रहा है.TISS की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चियों की मेडिकल जांच में उनके शरीर के कई हिस्सों पर जलने और कटने के निशान भी मिले हैं. ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चियों का रोज यौन शोषण होता था.

मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, यौन शोषण से पहले बच्चियों को नशे की दवाइयां दी जाती थीं या फिर नशे का इंजेक्शन लगाया जाता था. TISS ने 7 महीनों तक 38 जिलों के 110 संस्थानों का सर्वेक्षण किया. इस सर्वेक्षण में एक और चौंकाने वाला तथ्य यह है कि शोषण की शिकार हुई सभी बच्चियां 18 साल से कम उम्र की हैं. इनमें भी ज्यादातर की उम्र 13 से 14 साल के बीच है. इस रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में हुए यौन उत्पीड़न में बाल कल्याण समिति के सदस्य और संगठन के प्रमुख भी बच्चियों के शोषण में शामिल थे.

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