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कन्हैया को लेकर महागठबंधन में रार, NDA का कोई नेता नहीं है मुकाबले को तैयार

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कन्हैया को लेकर महागठबंधन में रार, NDA का कोई नेता नहीं है मुकाबले को तैयार

सिटी पोस्ट लाइव : एक ज़माना था जब बेगूसराय बामपंथ का सबसे बड़ा गढ़ माना  जाता था. यहाँ की लोक सभा सीट से लेकर सभी 6 विधान सभा की सीट पर बामपंथ का कब्ज़ा हुआ करता था. बामपंथ और कॉमरेडों का किला माने जानेवाले बेगूसराय से बामपंथ के पावं उखड़ गए. बामपंथ की जगह बामपंथ की इस धरती पर BJP का कमल खिल गया. बदलते वक्त के साथ यहां की राजनीति में ऐसा परिवर्तन हुआ कि बेगूसराय की सियासी सूरत लेफ्ट से राइट हो गई.

एक अर्से के बाद अब जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार में सीपीआई यानि वामपंथ को उम्मीद नजर आने लगी है. उम्मीद इस बात की है कि कन्हैया एक बार फिर से बेगूसराय में वामपंथ की बादशाहत कायम कर सकते हैं.इस कड़ी में कन्हैया बेगूसराय जिले में ताबड़तोड़ दौरे और सभाएं भी कर रहे हैं. हालांकि आधिकारिक तौर पर पार्टी नेता सत्यनारायण सिंह अभी यही कह रहे हैं कि नेशनल एक्जीक्यूटिव की बैठक के बाद ही बेगूसराय सीट पर उम्मीदवार का फैसला होगा. लेकिन पार्टी के सूत्रों ने कन्हैया के नाम पर महागठबंधन में बेगूसराय सीट पर दावा ठोंक दिया है.

सवाल ये है कि क्या कन्हैया की राह इतनी आसान है? अभी के वर्तमान हालात कन्हैया कुमार के लिए बहुत अनुकूल नहीं है लेकिन उनकी बढती राजनीतिक ताकत को भी नजर-अंदाज नहीं किया जा सकता. इस सीट पर महागठबंधन के घटक दल RJD का तो दावा है ही साथ ही  कांग्रेस पार्टी भी इस सीट पर नजर गडाये हुई है. बिहार कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि बेगूसराय विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद से कहीं बढ़कर था. ऐसे में पहली दावेदारी तो उन्हीं की है. जाहिर है अगर RJD यह सीट कन्हैया कुमार के लिए छोड़ भी देती है तो कांग्रेस पार्टी पेंच फंसाने की कोशिश करेगी. लेकिन हकीकत यहीं है कि अबतक RJD ही इस सीट को छोड़ने के मूड में नहीं है. लालू यादव को मनाने के लिए बामपंथी दल के नेताओं का लालू यादव से मिलने का सिलसिला जारी है.

लालू की पार्टी आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक भाई वीरेंद्र ने साफ कहा कि लोकसभा 2014 के चुनाव में बेगूसराय में पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया था. बेगूसराय की सीट पर आरजेडी इस लोकसभा चुनाव में मजबूती से दावा पेश करेगी.अब सवाल ये है कि क्या कन्हैया की पॉलिटिकल बांसुरी को महागठबंधन के ही नजर लगने के आसार हैं.

लेकिन ये भी सच है कि महागठबंधन के पास कन्हैया कुमार से ज्यादा दमदार नेता कोई नहीं है .कन्हैया कुमार ही इस सीट से BJP को चुनौती दे सकते हैं.बेगूसराय के लोग भले नहीं चाहते कि फिर से बेगूसराय में बामपंथ की वापसी हो लेकिन वो कन्हैया कुमार को भी यहाँ से बे-आबरू होकर जाने देने को तैयार नहीं हैं. कन्हैया कुमार के महागठबंधन के उम्मीदवार होने से केवल RJD ही रोक सकती है क्योंकि उसे अपने वोट बैंक में बम्दलों की तरफ शिफ्ट हो जाने का खतरा सता रहा है.लेकिन अगर कन्हैया कुमार यहाँ से चुनाव नहीं लड़े तो यहाँ से कमल को खिलने से रोक पाना भी महागठबंधन के वश की बात नहीं है.कन्हैया कुमार के नाम का दहशत इस कदर है कि NDA का कोई नेता बेगूसराय सीट से उम्मीदवार बनने को तैयार नहीं है.

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