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जीतनराम मांझी करेंगे गेम चेंज या राजनीतिक गलियारे में उड़ रही सिर्फ हवा

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की राजनीति में कब क्या हो जाए ये किसी को पता नहीं. रातों-रात सत्ता पलट जाती है, एक दल दूसरे दल में मिलकर सरकार बना लेती है, यही नहीं कुछ विधायकों के बगावत से पार्टी टूट जाती है. ये सब बिहार की राजनीति में होता रहा है. वहीं अब एक और खबर राजनीतिक गलियारे में टहल रही है, वो है पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का लालू प्रेम. दरअसल कहा जा रहा है कि जीतनराम मांझी इनदिनों लालू यादव के लिए अगाध प्रेम दिखा रहे हैं, जबकि वे बीजेपी के खिलाफ हैं. उनका पिछले दिनों का ट्वीट इस बात को साबित भी करता है.

मांझी ने पहले एक ट्वीट कर लिखा था कि कोरोना का टीका लेने के बाद मिलने वाले प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर होती है तो मृत्यु प्रमाणपत्र पर भी तस्वीर होनी चाहिए. मांझी के इस बयान के बाद विपक्ष में भी खुलकर मांझी को समर्थन दिया और एनडीए पर सवाल खड़े किए. इसके बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के शादी की सालगिरह पर दिल छू लेने वाला बधाई संदेश दिया था. मांझी ने लालू प्रसाद यादव को शादी की 48वीं सालगिरह पर बधाई देते हुए कहा कि आप हमेशा स्वस्थ और खुशहाल रहकर जनता की सेवा करते रहें, यही कामना है.

इस ट्वीट के बाद भी विपक्ष यानि लालू के चाहने वालों ने मांझी के बधाई को खूब सराहा था. जिसके बाद से ये कयास लगाने जाने लगे कि मांझी के मन में कुछ तो चल रहा है. इसी का परिणाम है कि राजद ने मांझी का समर्थन किया है. मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि एनडीए में मांझी को तव्वजो नहीं मिल रहा है. वरिष्ठ नेता होने के बाद भी किसी भी फैसले में उनकी राय नहीं ली जाती है. साथ ही राजद में आने को लेकर उन्‍होंने कहा कि राजनीति में संभावनाओं के द्वार खुले हैं और कोई किसी का परमानेंट दुश्मन नहीं होता.

यही नहीं कांग्रेस ने भी मांझी को बरगलाने की कोशिश की है, और उन्हें आने का ऑफर तक दे डाला है. कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि मांझी जी आज भले ही एनडीए में हों पर वो पुराने कांग्रेसी रहे हैं और मंत्री भी थे. आज एनडीए में वो असहज हैं. ऐसा लगता है कि मांझी की एनडीए से मोह भंग हो गया है और आने वाले दिनों में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. अगर वो कांग्रेस में आते हैं तो उनका स्वागत होगा.

बता दें जीतनराम मांझी को लेकर फिलहाल कहा ये भी जा रहा है कि वे जल्द ही कुछ बड़ा फैसला लेंगे. जबकि राजनीतिक पंडितों की मानें तो मांझी ऐसा अभी कुछ नहीं करने वाले. उन्हें पता है कि उनकी एंट्री NDA में नीतीश कुमार की वजह से हुई है. वो भी ऐसे समय में जब चुनाव बिल्कुल निकट आ चुका था. महागठबंधन को छोड़ने के पीछे उनकी अनदेखी ही थी. जिसके बारे में मांझी खुद कई बार कह चुके हैं. मांझी की अनदेखी महागठबंधन में लोकसभा चुनाव से होती रही है. ऐसे में जीतनराम मांझी नीतीश कुमार का भरोसा नहीं तोड़ेंगे और वे NDA के साथ ही बने रहेंगे.

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