ओवैसी से हाथ मिलाकर तेजस्वी को चुनौती देने की तैयारी में जीतन राम मांझी.
सिटी पोस्ट लाइव : झारखण्ड में महागठबंधन को मिली सफलता के बाद अब बिहार में महागठबंधन के घटक दलों ने तेजस्वी यादव पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. बिहार के पूर्व सीएम ,हम पार्टी के सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने अब दलित और मुस्लिम समीकरण के बूते अकेले चुनाव मैदान में उतरने का एलान कर दिया है. CAA और NRC के मुद्दे को लेकर बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी दोनों एक साथ एक मंच पर दिखेंगे. HAM पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी और असदुद्दीन ओवैसी दोनों किशनगंज में एक मंच पर एक साथ कार्यक्रम करने जा रहे हैं. हम पार्टी के प्रवक्ता डॉ. दानिश रिजवान ने बताया कि 29 दिसंबर को किशनगंज में दोनों नेता सभा को संबोधित करेंगे.
दरअसल, जीतन राम मांझी को महागठबंधन में भावनाहीन मिल रहा है. नाराज मांझी लगातार तेजस्वी यादव पर निशाना साध रहे हैं और उनके माय समीकरण को ध्वस्त करने के लिए अब ओवैशी के साथ हाथ मिलाने जा रहे हैं. जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव पर दबाव बनाने के नया सियासी खेला है. जीतन राम मांझी ओवैसी के साथ सभा कर बिहार में मुस्लिम और दलित समीकरण बनाने की फिराक में हैं. बिहार उपचुनाव में किशनगंज में AIMIM का विधायक चुना गया था. तब जीतन राम मांझी ने इशारा किया था कि वो आने वाले दिनों में असदुद्दीन ओवैसी से हाथ मिला सकते हैं. मांझी अब CAA के बहाने ओवैसी से हाथ मिलाकर महागठबंधन के नेताओं को मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें हल्के में न लें.
मुकेश सहनी और उपेन्द्र कुशवाहा भी तेजस्वी यादव पर लगातार दबाव बनाने की कोशिश में जुटे हैं. तेजस्वी यादव ये बात समझ चुके हैं और किसी घटक दल के नेता को भाव नहीं दे रहे. अपनी चुनावी रणनीति तय करने से पहले किसी के साथ विचार विमर्श नहीं कर रहे.बिहार बंद में भी उन्होंने किसी सहयोगी दल के नेता को आमंत्रित नहीं किया. खुद महागठबंधन के नेता उपेन्द्र कुशवाह और कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा पहुँच गए तो उन्हें भाव नहीं दिया.
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