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नल-जल योजना में भ्रष्टाचार के मामले में डिप्टी CM तारकिशोर CM आवास तलब.

तारकेश्वर प्रसाद ने दी सफाई,कहा- टेंडर मेरे डिप्टी CM बनने के पहले नियमानुसार दिया गया.

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सिटी पोस्ट लाइव :अपने रिश्तेदारों द्वारा नल-जल योजना से जुड़े करोड़ों रूपये के ठेके लिए जाने से जुड़े विवाद को लेकर बिहार के उप-मुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद संकट में हैं.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को डिप्टी CM तारकिशोर प्रसाद को तलब किया. सूत्रों के अनुसार भ्रष्टाचार के आरोपों पर सफाई देने के लिए मुख्यमंत्री ने तलब किया था. इससे पहले गुरुवार को ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और कटिहार से राजद के उम्मीदवार रहे रामप्रकाश महतो ने राबड़ी देवी आवास में दोपहर दो बजे प्रेस कांफ्रेंस किया था. इसके दो घंटे बाद ही डिप्टी सीएम, मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए.

तार किशोर प्रसाद ने प्रेस रिलीज जारी कर इस मामले पर सफाई दी है. उन्होंने कहा है- ‘जिन लोगों को भी टेंडर मिला है, वो मेरे रिश्तेदार नहीं हैं. सिर्फ पूजा कुमारी मेरी रिश्तेदार हैं और उन्हें जो टेंडर मिला है, वो नियमानुसार है. यह भी साल 2019 में दिया गया था. उस वक्त मैं डिप्टी CM नहीं था, इसलिए यह कहना गलत है कि मैंने डिप्टी CM रहते हुए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया.’गौरतलब है कि तेजस्वी ने प्रेस कांफ्रेंस में नीतीश कुमार की राजनीतिक शुचिता पर सवाल उठाए थे .उन्होंने कहा था- ‘मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए. वह सिर्फ दिखावे के लिए भ्रष्टाचार पर शुचिता की बात करते हैं, लेकिन असलियत में वे भ्रष्टाचार पर सुविधा के पैरोकार हैं.

‘ नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया- ‘सरकार ने भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा कर दी. उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने अपनी बहू, दामाद और साले को कटिहार में ठेका दे दिया.’ तेजस्वी ने योजना का नाम बदल कर ‘ नल धन योजना ‘ कर दिया.इस पूरे मामले में नीतीश कुमार को तेजस्वी ने कटघरे में खड़ा कसरते हुए सवाल किया- ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फरवरी 2021 में पत्र लिखकर जब जानकारी दी गई तो उसके बाद क्या कार्रवाई हुई? राजद की कटिहार जिला इकाई ने अगस्त 2020 में ही इस घोटाले का पर्दाफाश किया था. जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और दीप किरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड दोनों कंपनी उप मुख्यमंत्री के साले और दामाद की है. इन दोनों कंपनियों को 48 करोड़ और 3 करोड 60 लाख का काम दिया गया.’

तेजस्वी यादव ने कहा कि ‘कंपनियों के रजिस्टर्ड पते पर कंपनी का कोई साइन बोर्ड नहीं है. ठेका देने से पहले इन कंपनियों के पास सरकारी काम करने का कोई अनुभव नहीं था. PWD नियमावली के अनुसार, ऐसी किसी अनुभवहीन कंपनी को काम नहीं दिया जा सकता है. दीप किरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड के वर्ष 2019 और 2020 की ऑडिट रिपोर्ट में ही कहीं भी किसी भी तरह के सरकारी कामकाज करने का जिक्र नहीं है.’

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