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2015 में ‘पीके’ की एक चाल से चित हुई थी बीजेपी, सुशील मोदी को सीएम बनने से रोका था

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2015 में ‘पीके’ की एक चाल से चित हुई थी बीजेपी, सुशील मोदी को सीएम बनने से रोका था

सिटी पोस्ट लाइवः जेडीयू नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों खूब सुर्खियों में हैं। उनके बयानों ने बिहार के सियासत की तपिश बढ़ा रखी है हांलाकि उनके बयान अब उन पर भारी पड़ते भी नजर आ रहे हैं। प्रशांत किशोर अपनी पार्टी मे साइडलाइन हो गये हैं। लंबे वक्त तक अपनी पार्टी के कई बड़े नेताओं की आंखो में खटकने वाले प्रशांत किशोर के बयानों ने पार्टी के अंदर उनके दुश्मनों की राह आसान कर दी है। न तो 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी में उनकी कोई विशेष भूमिका थी और न हीं 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी कोई विशेष भूमिका दिख रही है इसलिए यह समझना जरूरी हो जाता है कि बिना ‘पीके’ के बिहार विधानसभा का चुनाव कैसा होगा खासकर जेडीयू के लिए क्योंकि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशंात किशोर ने जेडीयू के रणनीतिकार के तौर पर अहम भूमिका निभाई थी। फ्लैशबैक में चलते हैं और यह उस चुनाव में प्रशांत किशोर के कारनामों को समझने की कोशिश करते हैं जिससे यह समझना आसान हो जाएगा कि बिना पीके के जेडीयू की राजनीतिक राह आसान होगी या मुश्किल। 2015 के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने एक कमाल का कारनामा किया था।

दरअसल इस चुनाव में जेडीयू और नीतीश कुमार के सामने कई चुनौतियां थी। पहली चुनौती यह थी कि उन्हें उस लालू के साथ दोस्ती पर सफाई देनी थी जिनके राज को वो अक्सर जंगल राज कहा करते थे। दूसरी चुनौती यह थी कि उनका मुकाबला सीधे पीएम नरेन्द्र मोदी से था जिनके करिश्मे ने कई राज्य भाजपा की झोली में डाल दिये थे और तीसरी सबसे बड़ी चुनौती तब नीतीश के सामने आयी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार के लिए 1500 करोड़ के विशेष पैकेज का एलान कर दिया था। बीजेपी हीं नहीं जेडीयू को भी यह लग रहा था कि चुनाव हाथ से निकल चुका है पीएम ने बड़ा मास्टर स्ट्रोक चल दिया है लेकिन प्रशांत किशोर की एक चाल ने न सिर्फ बीजेपी के मुंह से जीत छीन ली थी बल्कि सुशील मोदी को सीएम बनने से रोक दिया था।

दरअसल पीके ने पीएम मोदी के मास्टर स्ट्रोक के जवाब में सात निश्चक का मास्टर स्ट्रोक चल दिया था। बिहार में आज भी सात निश्चय के फार्मूले पर काम हो रहा है। जेडीयू को उस चुनाव में सात निश्चय के फार्मूले ने जीत में बहुत मदद की थी। खुद प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू के दौरान यह स्वीकार किया था कि पीएम मोदी ने जब 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में 1500 करोड़ के विशेष पैकेज का एलान किया था तब जेडीयू की बेचैनी बढ़ गयी थी। जाहिर है प्रशांत किशोर जैसे कुशल रणनीतिकार के बिना चुनाव लड़ना जेडीयू के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है हांलाकि यह कहा जरूर जा रहा है कि बिहार में लड़ाई एकतरफा है। आरजेडी और महागठबंधन नीतीश और बीजेपी का मुकाबला नहीं कर सकता लेकिन यह सियासत और और सियासत में बाजी पलटते देर नहीं लगती।

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