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बिहार में डॉक्टरों की हड़ताल से हाहाकार तथा चमकी बुखार से अब तक 100 बच्चों की मौत

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बिहार में डॉक्टरों की हड़ताल से हाहाकार तथा चमकी बुखार से अब तक 100 बच्चों की मौत

सिटी पोस्ट लाइव- बिहार में बच्चों के मृत्यु का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है.प्रतिदिन मरनेवाले बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. साथ ही बीमार बच्चों की तादाद भी लगातार बढ़ रही है. सोमवार सुबह तक AES बीमारी की वजह से 100 बच्चों ने दम तोड़ दिया है. लेकिन इसी बीच जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल ने भी स्वास्थ्य सेवाओं को और बुरी तरह प्रभावित किया है तथा स्थिती स्वास्थ्य सेवा की बदतर हो गई है.

सूबे के मुजफ्फरपुर में हड़ताल के कारण एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस से हो रही मौतों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. एईएस को स्थानीय स्तर पर चमकी बीमारी भी कहा जाता है. मुजफ्फरपुर के सबसे बड़े अस्पताल एसकेएमसीएच के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं जिससे वहां विकट समस्या खड़ी हो गई है. SKMCH में ओपीडी काउंटर पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. दूर-दराज से आये मरीजों और परिजनो को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ जहां बच्चों की एईएस से लगातार मौत हो रही है वहीं डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से मरीजों के प्रति उनकी संवेदना को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.

वहीं अगर राजधानी पटना के पीएमसीएच की बात करें तो इस अस्पताल में एईएस से अब तक 11 बच्चे भर्ती हुए हैं जबकि, फिलहाल 10 बच्चों का इलाज हो रहा है. इलाज के दौरान एक बच्चे की मौत हो गई थी वहीं एईएस वार्ड में अभी भी कई बच्चे भर्ती, हैं जिनमें से 5 बच्चों की फिलहाल हालत गंभीर है. पीएमसीएच में हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. सुबह से ही रजिस्ट्रेशन काउंटर और ओपीडी के बाहर मरीजों की भीड़ लगी है और मरीज कतारों में लगकर डॉक्टरों का इंतजार कर रहे हैं. सभी विभागों का ओपीडी ठप हो गया है जिसे सीनियर और जूनियर डॉक्टरों ने मिल कर ठप किया है.

इस डॉक्टरों की हड़ताल में इससे सम्बन्धित कई संगठन उनके समर्थन में सामने आ गये हैं. इसमें आईएमए, आरडीए, जेडीए, एफडीए सभी संगठन एकजुट हैं. आईजीआईएमएस में भी हड़ताल से त्राहिमाम मचा है. वहीं इस समस्या से उबरने के लिए लोगों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है. इस हड़ताल के कारण निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने भी कामकाज ठप कर दिया है.                                                                                  जे.पी.चंद्रा की रिपोर्ट 

                                                    

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