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हरिवंश की जीत से एनडीए के अंदर बढ़ गया नीतीश कुमार का राजनीतिक कद

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सिटी पोस्ट लाइव ( आकाश ) : राज्‍यसभा के उप-सभापति चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए एक अग्नि परीक्षा से कम नहीं थी. एनडीए उम्मीदवार और जेडीयू के सांसद हरिवंश की जीत नीतीश कुमार के एनडीए के लिए एक बहुत बड़ी राहत है वहीं एनडीए के अंदर नीतीश कुमार की साख बढानेवाली है.इस  जीत से यह साबित हो गया है कि 2019 के चुनाव को लेकर एनडीए कितना  एकजुट है और महागठबंधन में कितना मतभेद है.

इस जीत से एनडीए की एकजुटता उजागर हुई है  जिसमें नीतीश कुमार ने अहम् भूमिका निभाई है. नीतीश ने बीजेपी से नाराज सहयोगियों शिवसेना और अकाली दल को साधने में कामयाब रहे ही साथ ही  बीजू जनता दल और टीआरएस जैसे दलों का समर्थन भी ले लिया .यहीं नहीं बल्कि आरजेडी के जेठमलानी ने भी हरिवंश सिंह के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर सबको हैरान कर दिया.यह आनेवाले  लोकसभा चुनाव के पहले एक बड़ी तैयारी की ओर इशारा करता है.

नीतीश कुमार ने खुद से इन दलों से बात करके बीजेपी के लिए राह आसान कर दी है, जो अपने सहयोगियों और नए-नए सहयोगियों की तलाश में परेशान है. यही वजह है कि जेडीयू इसे आने वाले लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका की बात कहने लगी है. कई मौके ऐसे आए जिसने एनडीए के कुछ सहयोगियों को बीजेपी से नाराज कर दिया है. इसी बीच कांग्रेस लगातार दूसरी पार्टियों को अपने तरफ लाने की जुगत में लगी हुई है. जिससे एक मजबूत गठबंधन बन सके. ऐसे में बीजेपी से नाराज पार्टियों को उपसभापति पद के लिए हुए चुनाव में मनाकर नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्वीकार्यता साबित की है बल्कि विपक्ष को भी एक  बड़ा झटका दिया है. आने वाले समय में बीजेपी नए सहयोगियों को अपने पाले में करने के लिए नीतीश कुमार का सहारा ले सकती है.

विरोधी दल खासकर कांग्रेस उपसभापति चुनाव में मिली हार से बौखलाहट में है. नीतीश कुमार के बढ़ते कद को मानने से इंकार कर नीतीश कुमार की साख पर ही सवाल खड़े कर रही है.बहरहाल, कई मोर्चों पर जूझ रहे नीतीश कुमार के लिए ये जीत कई मायनो में महत्वपूर्ण है. इस जीत की वजह से बीजेपी को नीतीश कुमार की अहमियत का अहसास हो चूका है. नीतीश कुमार 2019 के बहाने 2020 का रास्ता भी अपने लिए आसान कर लेने में सफल साबित हुए हैं.इसका असर लोक सभा सीटों में भी दिखाई दे सकता है क्योंकि अब लोक सभा चुनाव के पहले नीतीश कुमार को नजर-अंदाज करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा.

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