City Post Live
NEWS 24x7

हरिवंश : हिंदी अधिकारी से राज्य सभा के उप-सभापति की कुर्सी तक का सफ़र

- Sponsored -

- Sponsored -

-sponsored-

सिटी पोस्ट लाइव ( आकाश ): राज्‍यसभा के उप-सभापति चुनाव गए हरिवंश का पूरा नाम हरिवंश नारायण सिंह है. यूपी के बलिया में हरिवंश का जन्म 30 जून 1956 को सिताब दियारा के राजपूत परिवार में हुआ. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल कर कुछ दिन  बैंक में हिन्दी अधिकारी के रुप में काम करने के बाद हरिवंश पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गए.

रविवार मैगजीन से की पत्रकारिता की शुरुआत कर हरिवंश 1989 में प्रभात खबर अखबार से जुड़े. काफी समय तक  प्रभात खबर के प्रधान संपादक रहे और इस दौरान .’मैंने दुनिया देखी’  किताब भी लिख अपनी एक अलग पहचान बनाई . पत्रकारिता से राजनीति में आए हरिवंश 2014 में जेडीयू कोटे से राज्यसभा सांसद बने और अब राज्य सभा के उप-सभापति बनने में भी कामयाब हो गए हैं.

जेडीयू सांसद हरिवंश नारायण सिंह राज्‍यसभा के उप-सभापति बन गए हैं. राज्यसभा के उपसभापति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार पूर्व पत्रकार थे. एक अखबार के एडिटर रहे हरिवंश नारायण सिंह को जीत मिली. हरिवंश को 125 वोट मिले. हरिवंश नारायण सिंह के उपसभापति चुने जाने पर बिहार के मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बधाई दी है. सीएम ने कहा कि हरिवंश जी कलम के धनी हैं. पत्रकारिता के क्षेत्र में इनका अमूल्य योगदान रहा है. सीएम ने राज्यसभा के उप सभापति के रूप में उन्हें मिली नई जिम्मेदारी के लिये हार्दिक शुभकामनाएं दी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा है कि हरिवंश जी को राज्यसभा का उपसभापति चुने जाने पर हार्दिक बधाई और शुभकामना.

राज्यसभा का डिप्टी चेयरमैन चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरिवंश नारायण सिंह को बधाई दी.उन्होंने उनकी  तारीफ करते हुए इस बात का जिक्र किया कि कैसे बतौर पत्रकार उन्होंने माउंटन मैन दशरथ मांझी के संघर्ष की कहानी दुनिया को बताई. ये कहानी सामने आने के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने दशरथ मांझी को पटना बुलाकर अपनी कुर्सी पर बिठाया था.

बिहार और झारखण्ड के कई नेताओं और मंत्री ने भी हरिवंश को राज्यसभा के उपसभापति निर्वाचित होने पर हार्दिक बधाई दी है. हरिवंश ने अपने करियर की शुरूआत बैंक की नौकरी से की फिर वो पत्रकारिता से राजनीति में आये. हरिवंश जेपी और चंद्रशेखर के भी बहुत करीबी रहे.

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

-sponsored-

Comments are closed.