सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा चुनाव में अब मात्र दो से तीन महीने बचे हैं. ऐसे में जहां राजनीतिक पार्टियों कई मुद्दों को लेकर सत्ताधारियों को घेरने में लगे हैं. तो वहीं अतिथि शिक्षक भी इस चुनावी मौसम में सरकार पर दबाव बनाकर अपनी मांगों को पूरा करवाने में जुटे हैं. कभी बिहार शिक्षकों की कमी को लेकर बदनाम था और आज शिक्षकों की संख्या इतनी है कि उनकी मांगों को पूरा करने में सरकार असमर्थ हैं. इसकी वजह क्या है ये बताने की जरुरत नहीं है, इतना जरुर है कि शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया जिस तरह से हुई और उन्हें अलग अलग नामों के साथ पोस्टिंग दी गई वो अब बिहार सरकार के लिए ही सिरदर्द बन गई है.
दरअसल सूबे के विभिन्न विश्व विद्यालयों में अतिथि शिक्षकों के रूप में काम कर रहे शिक्षकों ने आज जदयू कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया. जानकारी के मुताबिक अपनी मांगों को लेकर आज जेडीयू दफ्तर के बाहर अतिथि व्याख्याताओं ने प्रदर्शन किया. अतिथि व्याख्याताओं की मांग है कि इन्हें सामान काम के बदले सामान वेतन दिया जाए, इसके साथ ही समायोजित भी किया जाए. इन अतिथि व्याख्याताओं का कहना है कि इनकी नौकरी नियमित की जाए साथ इन लोगों का कहना है कि सरकार लगातार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है इसलिए हम अपनी बात सरकार तक पहुंचाने आए हैं और अपना हक लेकर रहेंगे.
इस दौरान अतिथि शिक्षकों ने जमकर हंगामा किया. इतना ही नहीं सामान काम और सामान वेतन को लेकर नारेबाजी की. गौरतलब है कि बिहार सरकार ने कई विभागों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए अतिथि शिक्षकों को चुना. ऐसे शिक्षक जो महीने में या हफ्ते में विश्व विद्यालयों में जाकर लेक्चरर की भूमिका निभाएं. लेकिन सरकार को ये पता नहीं था कि नियोजित शिक्षकों की तरह ये भी उनके गले में लटक जाएगी. हालांकि सरकार ने अतिथि शिक्षकों के मानदेय भुगतान के लिए एक अरब 17 करोड़ 27 लाख रुपए जारी कर दिए हैं. ताकि उन्हें वेतन समय से मिल जाए.
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