सरकार बताए, बेपटरी शिक्षा व्यवस्था के जिम्मेदार कौन : सुदेश
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सिटी पोस्ट लाइव : स्वराज स्वाभिमान यात्रा पर निकले आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि झारखंड की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी नजर आती है। सरकार को बताना चाहिए कि इस हाल के लिए जिम्मेदान कौन है। शिक्षा व्यवस्था में सुधार के नाम पर किए जा रहे प्रयोग लोगों की परेशानी बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कभी कहा था कि वे बोरा स्कूल में पढ़े हैं इसलिए किसी स्कूल में बोरा नहीं रहने देंगे, लेकिन बच्चों को अब भी बेंच-डेस्क का इंतजार है। यात्रा के नवें दिन श्री महतो सिंदरी के हीरापुर में लोगों के साथ रायशुमारी की तथा इन हालात बदलने के लिए आवाज उठाने पर जोर दिया। हारीपुर स्कूल के बच्चों को भी अब तक बेंच डेस्क नसीब नहीं हुआ है। हीरापुर के अलावा उन्होंने गोसाईडीह, गायडेहरा. कंचनपुर, संग्रामडीह मोड़, जमडीहा, मंडरो, जगतपुर, कालडाबर आदि जगहों पर पदयात्रा की। इस दौरान वे कई स्कूल गए। बच्चों और शिक्षकों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनी। श्री महतो ने कहा कि राज्य की शिक्षा मंत्री को शिक्षा व्यवस्था की हकीकत जानने के लिए जमीन पर जाकर गांवों के लोगों से संवाद करना चाहिए। वास्तविकता के बारे में वे शिक्षित हो जाएंगी, तो व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश बढ़ेगी। स्कूल भवन निर्माण के नाम पर ठेका- पत्तर का जोर है। लेकिन इससे शिक्षा की बुनियाद नहीं सुधारी जा सकती। उन्होंने कहा कि राज्य की बुनियादी शिक्षा व्यवस्था की चूलें हिली हुई है और सचिवालय में बैठकर आंकड़ों की बाजीगरी हो रही है। गांवों के बच्चे पढ़ना चाहते हैं आगे बढ़ान चाहते हैं, पर सरकार लाखों बच्चों के भविष्य को चौपट करने पर तुली है। गांवों के चौपाल में उन्होंने कहा कि नौ दिनो से वे जहां भी जा रहे हैं, लोग स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर चिंता जाहिर कर रहे हैं। गणित- विज्ञान के शिक्षक स्कूलों में नहीं हैं और सरकार बच्चों के भविष्य गढ़ने का दंभ भर रही है। शिक्षा की हालत में सुधार के नाम पर हजारों स्कूल का विलय कर दिया गया है। क्या किसी आला अधिकारी ने गांवों में जाकर लोगों से इस फैसले पर कोई रायशुमारी की थी। लगभग साठ हजार पारा शिक्षक प्राथमिक शिक्षा मुहैय्या कराने के दारोमदार हैं, लेकिन सरकार उन्हें दिहाड़ी मजदूरी भी देने के लिए तैयार नहीं है। श्री महतो ने कहा कि पदयात्रा के दौरान उन्होंने अखबारों में पढ़ा कि कि राज्य के मुखिया भी चैपाल लगाएंगे। लेकिन वह चौपाल विधानसभा का होगा। गांव का नहीं। उस चौपाल के केंद्र में वोट होगा, स्वराज्य और स्वाभिमान की बात नहीं। अगर गांव का चौपाल बैठाकर लोगों से आमने- सामने बातें करते, तो तस्वीरें कुछ और होती। हीरापुर की सभा में उन्होंने कहा कि राज्य के मुखिया के पास ही बिजली मंत्रालय है। वे अभी पाकिस्तान की बात कर रहे हैं, लेकिन राज्य की बड़ी आबादी बिजली के लिए तरस रही है। यकीनन, विषयों को मोड़ने की यह कोशिशें इस राज्य के हित में नहीं। झारखंड के कोयले से देश जगमग होता है, लेकिन कोयलांचल में बिजली की हालत चरमराई हुई है। यह कितना दुखद है कि दशकों से लोगों के सामने पानी, बिजली, सड़क की समस्या बरकरार है। उन्होंने कौशल विकास योजना की तैयारियों पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि होर्डिंग्स और बैनर के जरिए युवाओं को रोजगार नहीं दिया जा सकता। उनकी जरूरतों को जानने और उम्मीदों को समझने के लिए पहले बातें करनी होगी। आजसू नेता ने लोगों से आह्वान किया कि अपने बूते आवाज इस तरह मजबूत कीजिए कि राजनेताओं को अपना उसूल बदलना पड़े। वे आपके दरवाजे तक पहुंचे। विषयों पर बात करें और वोट की राजनीति पीछे रहे। आम जनता मुंह बंद रखती है इसलिए उनकी कान में दूसरों की बातें पहुंचती है। वे चाहते हैं कि झारखंड मुखर हो जाए, तो हालात भी बदल जाएं। इसलिए आखिरी कतार के लोगों का नेतृत्व करने के लिए उन्हें आधी रात को भी बुलाया जाएगा, तो वे नंगे पांव दौड़े चले आएंगे। पदयात्रा में विधायक विकास मुण्डा, पूर्व मंत्री उमाकांत रजक, डॉ देवशरण महतो, मंटू महतो, नंदू पटेल, विनय भरत समेत कई लोग शामिल थे।
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