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झारखंड में बांग्ला को द्वितीय राज भाषा का दर्जा देने के लिए 18 वर्षों से चल रहा आंदोलन, पर ध्यान नहीं दे रही सरकार

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झारखंड में बांग्ला को द्वितीय राज भाषा का दर्जा देने के लिए 18 वर्षों से चल रहा आंदोलन, पर ध्यान नहीं दे रही सरकार

सिटी पोस्ट लाइव, धनबाद : झारखंड में बांग्ला भाषा को द्वितीय राज्य भाषा का दर्जा देने की मांग को लेकर झारखंड बांग्ला भाषा उन्ननयन समिति का आंदोलन विगत 18 वर्षों से निरंतर जारी है जिसपर राज्य सरकार के ध्यान न देने से राज्य के 42 प्रतिशत बांग्ला भाषियों मे गहरा रोष व्याप्त है । समिति के संस्थापक बेंगू ठाकुर ने सोमवार को धनबाद गांधी सेवा सदन में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान बताया कि सरकार की उदासीनता का ही परिणाम है कि झारखंड में 42 प्रतिशत बांग्ला भाषा भाषी के रहने के बावजूद वे सम्मान पाने से वंचित हैं। बिहार में बांग्ला भाषा भाषी की संख्या महज सात प्रतिशत है, लेकिन वहां की सरकार बांग्ला वर्ष 2000 में ही द्वितीय राज्य भाषा का दर्जा दे चुकी है। इसके अलावा कर्नाटक, असम, पांडिचेरी आदि राज्यों में भी बांग्ला भाषा को वहां की सरकार ने द्वितीय राज्य भाषा का दर्जा दिया है। झारखंड में 23 जनवरी 2000 से ही समिति इस मांग को लेकर संघर्षरत है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में इस मांग पर सकारात्मक पहल का आश्वासन मिला भी था। उनकी सरकार जाने के बाद शिबू सोरेन के मुख्यमंत्री बनने पर जिले में बंगला की पुस्तकें भी बंटी, लेकिन उनकी सरकार जाने के बाद यह मामला पुन: खटाई में पड़ गया। वर्तमान में रघुवर सरकार से निरंतर पत्राचार के माध्यम से समिति मांग उठाते आ रही है। एक माह पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यपाल को पत्राचार करके राज्य के बंग्ला भाषा भाषी को सम्मान देने की मांग की गई है।
धनबाद के गोविंदपुर में विजया मिलन समारोह 25 को
बेंगू ठाकुर ने कहा कि आगामी 25 अक्टूबर को धनबाद जिले के गोविंदपुर क्षेत्र अंतर्गत खड़काबाद गांव में समिति ने विजया मिलन समारोह का आयोजन करने का निर्णय लिया है। समारोह में सभी जनप्रतिनिधि और राजनेताओं को आमंत्रित किया गया है। मिलन समारोह में बांग्ला भाषा भाषी झारखंड में आन्दोलन की दिशा और दशा तय करेंगे।

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