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सुशासन बाबू अब सरकारी कर्मचारियों को सिखायेगें गांधीगिरी, दफ्तरों में चस्पा होगें गाँधी के संदेश

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सुशासन बाबू अब सरकारी कर्मचारियों को सिखायेगें गांधीगिरी, दफ्तरों में चस्पा होगें गाँधी के संदेश

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गांधीगिरी अब राजधानी से लेकर ब्लाक-पंचायत स्तर के दफ्तरों में भी दिखेगी.  सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार से निबटने के लिए विशेष अभियान चलाकर देश भर में चर्चा में आ चुके नीतीश कुमार अब सरकारी कर्मचारियों को गांधीगिरी का पाठ पढ़ाएगें. भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कानूनी और प्रशासनिक प्रयास के साथ साथ अब गांधीगिरी भी नीतीश कुमार अपने सरकारी कर्मचारियों को सिखायेगें.नीतीश सरकार ने अब गांधी के विचारों का सरकारी दफ्तरों में प्रचार प्रसार करने का फैसला लिया है.सरकार ने सभी अधिकारियो को गांधी जी के इस संदेश को अपने दफ्तर की दीवारों पर चस्पा करने का निर्देश दिया है कि “ पृथ्वी पर जो कुछ मिलता है वह पर्याप्त है, लेकिन लालच को कभी पूरा नही किया जा सकता”.

बिहार के सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुब्बहानी ने पत्र जारी कर गांधी के इन सुविचारो के प्रचार प्रसार का निर्देश दिया है. अपर मुख्य सचिव ने सभी विभागो के प्रधान सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमंडलीय आयुक्त और सूबे के सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर गांधी के चिंतन और आदर्शों के प्रचार-प्रसार के आदेश के अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. सरकार ने सभी विभागीय प्रमुखो को यह आदेश दिया है कि गांधी के इन विचारो को निचले स्तर तक के सरकारी कार्यालय के मुख्य द्वार पर प्रदर्शित किए जाएं ताकी इससे लोग प्रभावित होकर लालच को त्याग सकें.

शराबबंदी के बाद शुरू किए गए अपने समाजिक अभियान के बाद सीएम नीतीश कुमार अपनी हर सभा मे गांधी के इन दो विचारो को अपनाने की सलाह देते  रहे हैं. खासतौर पर सीएम नीतीश अपनी हर सभा में सरकारी अधिकारियो  को गांधी के विचारो को अपने जीवन में उतारने की सलाह देते रहे हैं.अब बिहार के हर सरकारी कार्यालय के प्रवेश द्वार पर गांधी  के दो संदेश लिखे होंगे. पहले संदेश मे लिखा होगा-‘  पृथ्वी से हमें जो कुछ मिलता है वह हमारी आवश्यकता पूरी करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन हमारे लालच को पूरा नही किया जा सकता”. दूसरे संदेश में गांधी के सात सामाजिक पाप का वर्णन होगा. ये सात सामाजिक पाप हैं-‘ काम के बिना धन, विवेक के बिना सुख, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना व्यापार, मानवता एवं त्याग के बिना पूजा.

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