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बिहार में तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद, पूर्व वितमंत्री यशवंत सिन्हा कर रहें तैयारी.

बिहार चुनाव से पहले अब पटना जाकर क्यों रहना चाहते हैं पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में आज से चार महीने बाद विधान सभा चुनाव है.सभी पार्टियाँ तैयारी में जुटी हैं.NDA में छोटी पार्टियों के लिए जगह नहीं है और महागठबंधन के साथ जो छोटे घटक दल हैं, RJD के साथ उनकी जैम नहीं रही है.उनकी मांग ज्यादा है और तेजस्वी यादव उनको भाव दे नहीं रहे हैं.ऐसे में कभी बीजेपी के अटलबिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी के सबसे करीबी रहे कद्दावर नेता,पूर्व वित् मंत्री यशवंत सिन्हा बिहार में तीसरा मोर्चा की प्रबल संभावना देख रहे हैं.यशवंत सिन्हा बिहार के तमाम छोटे राजनीतिक दलों को एकसाथ लाकर तीसरा मोर्चा बनाना चाहते हैं.उनका मकसद बीजेपी को शिकस्त देना है.

सूत्रों के अनुसार यशवंत सिन्हा एक बार फिर अगले कुछ हफ्तों में पटना जाकर डेरा जमानेवाले हैं.अभी वो हजारीबाग में हैं.वहीँ से सभी छोटे दलों के नेताओं से संपर्क में हैं.सूत्रों के अनुसार उनकी बात उपेन्द्र कुशवाहा,जीतन राम मांझी,मुकेश सहनी,नागमणि समेत सभी दलों के नेताओं से हो रही है.यशवंत सिन्हा ईन सभी दलों को साथ लेकर एक तीसरा मोर्चा तैयार कर बीजेपी-RJD की चुनौती को बढ़ाना चाहते हैं.अब वो पटना आकर डेरा डालनेवाले हैं.यशवंत सिन्हा ने कहा कि पटना उनकी जन्‍मभूमि रही है. पटना ने मुझे सब कुछ दिया है और इस मुकाम तक पहुंचाया. अब मैं उस पटना के लिए कुछ कर सकूं ये मेरी बहुत बड़ी इच्छा है. लेकिन योगदान राजनीति होगा या फिर कुछ और, इससे परदा नहीं हटाया.

यशवंत सिन्हा की मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ तल्खियां जग जाहिर ही हैं. हर प्लेटफार्म पर वो आर्थिक से लेकर विदेश नीति पर वो मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. चंद महीने पहले भी उन्होने मुंबई से लखनऊ तक की पद यात्रा की थी विपक्षी एकजुटता के लिए और उस प्लेटफार्म पर शरद पवार, अखिलेश यादव समेत कई दिग्गजों ने हिस्सा लिया.पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल से उनकी दोस्ती भी जग जाहिर है. इन दोनों मुख्यमंत्रियों से नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी प्रशांत किशोर के रिश्ते भी छुपे नहीं हैं.अब यशवंत सिन्हा छोटे दलों को साथ लेकर तीसरा मोर्चा बनाने में किस हदतक कामयाब होते हैं, इसके इए थोडा और इंतज़ार करना पड़ेगा.

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