खूंटी में पहली बार इतने कम मतों के अंतर से हुई भाजपा उम्मीदवार की जीत
सिटी पोस्ट लाइव, खूंटी: दौड़ते-हांफते ही सही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और खूंटी (सु) संसदीय सीट से भाजपा उम्मीदवार अर्जुन मुंडा भाजपा की विरासत को बचाने में कामयाब रहे। सांसें अटका देने वाली मतगणना के अंत में अर्जुन मुंडा महागठबंधन के कांग्रेस उम्मीदवार कालीचरण मुंडा को 1445 मतों से पराजित कर दिल्ली पहुंचने में कामयाब रहे। इस कड़े मुकाबले में अर्जुन मुंडा को कुल 382638 वोट मिले, जबकि कालीचरण मुंडा को 381193 मत मिले। संसदीय क्षेत्र के 2408 मतदाताओं ने किसी उम्मीदवार को पसंद नहीं किया और उनके वोट नोटा को मिले। हालांकि अर्जुन मुंडा चुनाव जीत गये हैं पर भाजपा के किले में कांग्रेस की दमदार उपस्थिति ने भाजपा में कई संदेशों और अफवाहों को जन्म दिया है। खूंटी संसदीय सीट पर अभीतक के इतिहास में पहली बार हुआ है कि भाजपा उम्मीदवार इतने कम वोटों के अंतर से जीता है। गौरतलब है कि खूंटी संसदीय सीट भाजपा की सबसे मजबूत सीट मानी जाती है। वर्तमान सांसद कड़िया मुंडा आठ बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अर्जुन मुंडा के सामने भाजपा की इस विरासत को बचाने की बड़ी चुनौती थी जिसमें अर्जुन मुंडा सफल रहे। कम वोटों से भाजपा की हुई जीत को लेकर कई तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। भाजपा के नेता अपनी ही पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर भितरघात का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि कुछ नेता भितरघात नहीं करते तो शायद जीत का अंतर इससे बड़ा होता। उनका आरोप है कि कई बूथों में तो भाजपा के एजेंट तक नहीं थे। इसके विपरीत कुछ नेताओं का तर्क है कि पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा उम्मीदवार को सभी विधानसभा क्षेत्रों में अधिक वोट मिले हैं। यदि भितरघात होता तो वोट बढ़ते नहीं बल्कि घटते। हालांकि पिछले चुनाव की तुलना में इसबार 95908 वोट अधिक पड़े हैं। इस चुनाव में कुल 832834 वोटरों ने वोट डाले, जबकि 2014 के संसदीय चुनाव में 736926 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। 2019 के संसदीय चुनाव में भाजपा उम्मीदवार अर्जुन मुंडा चार विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के कालीचरण मुंडा से काफी पीछे रहे और दो में उन्होंने बढ़त हासिल की। खूंटी विधानसभा क्षेत्र में इसबार भाजपा उम्मीदवार को 51410 वोट मिले, जबकि कालीचरण मुंडा को 77812 वोट मिले। इस तरह कांग्रेस उम्मीदवार को भाजपा प्रत्याशी पर 26402 वोटों की बढ़त मिल गयी। तोरपा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को 43964 और कांग्रेस को 65122 वोट मिले। कोलेबिरा में भाजपा को 44866 वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 69798 मत मिले। सिमडेगा में भाजपा को 66122 और कांग्रेस को 71894 वोट मिले। इसके विपरीत अर्जुन मुंडा को खरसावां विधानसभा क्षेत्र से 88852 व 55971 वोट मिले। तमाड़ में भी भाजपा ने बढ़त बनाये रखी। तमाड़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को 86252 और कांग्रेस को 44872 वोट मिले।
पौलुस सुरीन की उदासीनता कांग्रेस को महंगी पड़ी
तोरपा के झामुमो विधायक पौलुस सुरीन की उदासीनता कांग्रेस उम्मीदवार कालीचरण मुंडा को महंगी पड़ी। पौलुस सुरीन टिकट बंटवारे से लेकर मतदान तक कांग्रेस उम्मीदवार का विरोध करते रहे। हालांकि एकदिन वे कालीचरण मुंडा के आवासीय कार्यालय तक गये थे और उन्होंने कांग्रेस के पक्ष में काम करने का भरोसा भी दिया था पर चुनाव प्रक्रिया के दौरान वे नदारत रहे। जिस समय पार्टी कार्यकर्ता और नेता चुनाव प्रचार में पसीना बहा रहे थे, वहीं पौलुस सुरीन अपने परिवार के साथ दार्जिलिंग में थे। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि पौलुस सुरीन का साथ कांग्रेस उम्मीदवार को मिला होता तो खूंटी संसदीय सीट का परिणाम कुछ और हो सकता था।
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