धनबादः गुटों में बंटी कांग्रेस कैसी टक्कर देगी?
सिटी पोस्ट लाइव, धनबाद: झारखंड में विपक्षी गठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच राज्य की 14 सीटों का बंटवारा हो गया है। इसमें सबसे अधिक कांग्रेस को 7, झामुमो को 4, झाविमो को 2 और राजद को 1 सीट मिली है। धनबाद सीट कांग्रेस के खाते में गयी है। धनबाद लोकसभा सीट पर चुनाव परिणामों की फेहरिस्त देखें तो 1989 से अबतक हुए पिछले आठ लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को यहां से सिर्फ एकबार 2004 में सफलता मिली थी। जबकि 2009 और 2014 में पार्टी के उम्मीदवार दूसरे स्थान रहे थे। धनबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस की हार का बड़ा कारण यहां के स्थानीय नेताओं की गुटबाजी रही है। इसबार पार्टी से टिकट के लिए 22 नेताओं ने दावेदारी की है। इसमें ददई दूबे और राजेन्द्र सिंह को छोड़ सभी स्थानीय नेता हैं, जो एक-दूसरे को जीतते देखना पसंद नहीं करते हैं। कई बार ये लोग एक-दूसरे को हराने में अपनी ताकत झोंक देते हैं। इन परिस्थितियों से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी वाकिफ है। धनबाद से कांग्रेस की हार की दूसरी बड़ी वजह कांग्रेस के मजदूर संगठन इंटक और राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संगठन का कमजोर होना है। वर्ष 1989 से पहले हुए हर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत में इन संगठनों की बड़ी भूमिका रही है। उस वक्त इंटक और आरसीएमएस का यहां के कोयला सहित अन्य उद्योगों के मजदूरों में बड़ा जनाधार हुआ करता था। अभी यह गुटों में बंटा कमजोर संगठन है। जो खुद अपने अस्तित्व के लिए यहां संघर्ष कर रहा है। अंतिम बार 2004 में एकजुट इंटक ने कांग्रेस के टिकट पर ददई दूबे की जीत में बड़ी निभायी थी लेकिन 2005 में झारखंड इंटक और आरसीएमएस पर वर्चस्व को लेकर राजेन्द्र सिंह और ददई दूबे के बीच शुरू हुई लड़ाई में इंटक टुकड़ों में बंट गया। इसका नतीजा यह हुआ कि 2009 के चुनाव में ददई दूबे की हार हुई।
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