City Post Live
NEWS 24x7

बिहार विधान परिषद के चुनाव में देर हुई तो महाराष्ट्र जैसा पैदा हो जाएगा संवैधानिक संकट

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

सिटी पोस्ट लाइव : 23 मई को 29 विधान परिषद की सीटें खाली हो गई है. ऐसे में जिन एमएलसी सीटों (MLC Seats) पर चुनाव होने हैं इन सीटों पर हर पार्टियों की दांव साख पर लगी हैं. बिहार सरकार के मंत्री और बिहार कांग्रेस (Bihar Congress) के प्रदेश अध्यक्ष भी इस रेस में शामिल हैं. प्रदेश कार्यालयों में लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से लोगों का आना-जाना तो बंद है,  लेकिन हर कोई अपनी जुगत में लग गया है.

गौरतलब है कि बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) की कुल 75 सीटों में से 29 सीटें खाली हो गई हैं. इन 29 सीटों में से 17 सीटों पर चुनाव होने हैं. आठ पर प्रत्यक्ष तौर पर और 9 सीटों पर परोक्ष रूप से चुनावी जंग होगी. 9 सीटें विधानसभा कोटे की होंगी. बाकी चार पर स्नातक और चार पर शिक्षक कोटे से चुनाव होंगी. इसके अलावा 12 सीटों को राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया जाएगा. जिन 9 सीटों पर विधानसभा सदस्यों की संख्या के आधार पर एमएलसी बनाए जाएंगे.

गौरतलब है कि इनमें 27 विधायक पर एक एमएलसी चुना जाएगा. इस संख्या के मुताबिक तीन आरजेडी और एक कांग्रेस के सदस्य चुना जाना तय है. इसके अलावा तीन सीटें जेडीयू और 2 सीटें बीजेपी के खाते में जाएंगी. हालांकि स्नातक और शिक्षक कोटे की सीटों के लिए प्रत्यक्ष चुनाव होने हैं तो ऐसे में एनडीए और महागठबंधन दोनों की तरफ से जोर आजमाइश शुरू हो गई है.

बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार बताते हैं कि चुनाव आयोग उनके चुनाव का फैसला ले सकता है.  फिलहाल  नीरज कुमार का कार्यकाल भी 23 मई को समाप्त हो चुका है. उन्हें पटना स्नातक क्षेत्र से चुनाव लड़ना है. नीरज कुमार कहते हैं कि चुनाव आयोग इसको लेकर गंभीरता से फैसला करेगा. क्योंकि कोरोना की वजह से पहले की तमाम चुनावी प्रक्रिया बदल जाएंगी. ऐसे में अब नए तरीके से चुनाव कराना होगा.

इस चुनाव में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी की साख भी दांव पर लगी है. तो जनसंपर्क विभाग के मंत्री नीरज कुमार स्नातक कोटे से चुनाव लड़ते हैं. वहीं विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारून रसीद की भी साख दांव पर है. राज्यपाल के तरफ से मनोनीत किया जाने वाले 12 सीटों में से 2 सीटें पहले ही खाली थी. राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और पशुपति पारस लोकसभा के सदस्य चुन लिए गए.

इसके अलावा 10 सीटों पर सबकी निगाहें टिकी हैं. भाजपा और जेडीयू इसमें भी बंटवारा कर सकती है. बीजेपी प्रदेश महामंत्री जनक राम कहते है कि उनकी पार्टी पूरी तरह से लोकतांत्रिक है. फैसला बिहार बीजेपी नहीं दिल्ली के आलाकमान से होगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, अमित शाह इसका फैसला लेंगे कि किन-किन सीटों पर किनको सदस्य बनाया जाएगा.

लॉकडाउन की वजह से स्नातक और शिक्षक कोटे का चुनाव की प्रक्रिया पूरी तरह से ठप है. अभी तक चुनाव आयोग के तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. वहीं पटना, दरभंगा और तिरहुत में दोनों कोटे के चुनाव होने हैं. कोसी में सिर्फ स्नातक कोटे का चुनाव होगा. शिक्षक कोटे से केदारनाथ पांडे , मदन मोहन झा, संजय कुमार सिंह और प्रोफेसर नवल किशोर यादव का कार्यकाल खत्म हुआ है. वहीं स्नातक कोटे से नीरज कुमार, दिलीप कुमार चौधरी, डॉक्टर एनके यादव और देवेश चंद्र ठाकुर के 23 मई को विधान परिषद में आखिरी दिन था. इस चुनाव में आरजेडी को तीन सीटों का फायदा हुआ है.

विधानसभा कोटे से रिटायर्ड होने वाले नौ सीटों में एक भी आरजेडी के सदस्य नहीं है. विधायकों की संख्या के आधार पर आरजेडी को तीन सीटे मिल रही है. वहीं, इस चुनाव पर आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि सभी फैसला आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव लेंगे. इसमें साधारण कार्यकर्ता भी सदस्य बन सकता है.

लॉक डाउन की वजह से जो परिस्थिति उद्धव सरकार के साथ महाराष्ट्र में हुई थी. अब वही परिस्थिति बिहार में भी उत्पन्न हुई है. बिहार सरकार के दो मंत्री को 6 महीने तक तो मंत्री पद पर रखा जा सकता है.  लेकिन संविधान के मुताबिक 6 महीना के अंदर उन्हें दोनों सदनों में से एक का सदस्य होना अनिवार्य होता है. ऐसे में 29 सदस्यों का यह चुनाव बिहार सरकार को जल्द से जल्द कराना होगा और जल्द से जल्द विधान परिषद की खाली सीटों को भरना होगा.

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

-sponsored-

Comments are closed.