सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में इनदिनों जहरीली शराब कांड ने सरकार की नींद ख़राब कर दी है. इसे लेकर बिहार के मुखिया परेशान हैं. दो दिन पहले ही इसे लेकर समीक्षा बैठक की गई थी. इस बैठक में कई तरह के कड़े फैसले लिए गए. वहीं इस शराबबंदी को सफल करने के अब सरकार ने इसकी जिम्मेदारी सबसे कड़क अधिकारी केके पाठक को दी गई है. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बिहार वापस आए भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी केके पाठक को निबंधन, उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया है.
सामान्य प्रशासन विभाग ने बुधवार को इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे केके पाठक पदस्थापन के लिए प्रतीक्षारत थे. पाठक को जिम्मेवारी देने के साथ ही निबंधन, उत्पाद एवं मद्यनिषेध का अतिरिक्त प्रभार देख रहे अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद को इस विभाग से मुक्त कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि बिहार में शराबबंदी लागू होने के समय केके पाठक ही उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव थे. बिहार में शराबबंदी को सफलतापूर्वक लागू करने में इनकी अहम भूमिका थी. उनके उसी योगदान को देखते हुए सरकार ने एक बार फिर से उन्हें इसी विभाग में अपर मुख्य सचिव की जिम्मेवारी दी है.
केके पाठक 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वे बिहार के ऐसे कड़क आईएएस अधिकारी हैं जिनका नाम सुनकर अच्छे-अच्छे माफियाओं के छक्के छूट जाते हैं. कुछ उन्हें हद से ज्यादा जिद्दी तो कुछ जुनूनी अधिकारी बताते हैं. अब एक बार फिर सीएम नीतीश कुमार ने अपने पुराने अधिकारी पर भरोसा जताया है और उन्हें राज्य में शराबबंदी को सफल बनाने की कमान सौंपी है. जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे तब केके पाठक की तैनाती उनके गृह जिले गोपालगंज में बतौर डीएम हुई थी. लालू के करीबी पाठक की कार्यशैली से इस कदर परेशान हो गए थे कि आखिर में लालू को उनका ट्रांसफर करके सचिवालय बुलाना पड़ा.
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