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लोकसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा संथाल परगना को लेकर उत्साहित

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लोकसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा संथाल परगना को लेकर उत्साहित

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: लोकसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा संथाल परगना को लेकर उत्साहित है। विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों को धूल चटाने की हर संभव तैयारी हो रही है। पिछले साल भर में शायद ही कोई महीना ऐसा गुजरा हो जब भाजपा का कोई कद्दावर नेता संथाल की सड़कों पर न घूम रहा हो, अपने कार्यकर्ताओं में जोश न भर रहा हो। संगठन को हर बूथ पर सशक्त करने की कवायद लगातार जारी है। मुख्यमंत्री रघुवर दास और संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह हर दिन अपने कार्यकर्ताओं से संथाल में चल रही पार्टी की गतिविधियों की जानकारी लेते रहते हैं।संथाल की सियासी अहमियत को समझते हुए भाजपा का फोकस संथाल परगना पर है। इसके मद्देनजर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह चुनाव का बिगुल संथाल परगना से फूंक दिया। अमित शाह ने संथाल के जामताड़ा से पार्टी की जन आशीर्वाद यात्रा का शुभारंभ किया।नजर संथाल परगना की 15 सीटों परभाजपा की नजर संथाल परगना की 15 सीटों पर है। संथाल में विधानसभा की 18 सीटें हैं। इनमें भाजपा के पास अभी आठ सीट हैं, जबकि  10 सीटें विपक्षी दलों के पास है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पास छह, कांग्रेस के पास तीन और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के पास एक सीट है। भाजपा ने इस बार विधानसभा चुनाव में 65 से अधि‍क सीटों पर जीत दर्ज करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की प्राप्ति विपक्ष के वोट बैंक में सेंधमारी के बिना संभव नहीं है। अबतक यही माना जाता रहा है कि संथाल परगना झामुमो का अभेद्य दुर्ग है और यहां तीर-धनुष के अलावा कुछ नहीं चलता है, लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में झामुमो के इस किले को ध्वस्त करने में भाजपा को बहुत हद तक कामयाबी मिली थी। भाजपा ने दुमका लोकसभा सीट झामुमो से छीन ली है। दुमका झामुमो अध्याक्ष शि‍बू सोरेन की परम्परागत सीट थी, वह वहां से आठ बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके थे। इससे उत्साहित भाजपा की नजर अब विधानसभा चुनाव में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की बरहेट सहित संथाल की कई अन्य सीटों पर है। यही वजह है कि भाजपा खासकर मुख्यमंत्री रघुवर दास संथाल पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। भाजपा ने अबकी बार 65 के पार का लक्ष्य बनाया है। इसको लेकर लगातार पार्टी के नेता दिन रात मेहनत कर रहे हैं। वहीं इस लक्ष्य को हकीकत बनाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जामताड़ा से चुनावी बिगुल फूंक दिया। यहां से अमित शाह ने मुख्यमंत्री जन आशीर्वाद योजना के तहत संथाल में आदिवासी वोट को अपने पाले में करने का अभियान छेड़ दिया है। उन्होंने झामुमो के राजनीतिक गढ़ संथाल के जामताड़ा में भाजपा के जोहार जन आशीर्वाद यात्रा को शुरू करते हुए जनता से लोकसभा चुनाव की तरह ही आशीर्वाद मांगा। गौरतलब है कि संथाल में विधानसभा की 18 सीटें हैं। 2014  विधानसभा चुनाव में भाजपा को संथाल से मात्र 7 सीटें हासिल हो पाई थीं और अन्य सीटों पर अधिकांश झामुमो ने जीत हासिल की थी। इस बार भाजपा संथाल में झामुमो की सियासी जमीन पर कब्जा करना चाहती है। भाजपा अबकी बार 65 के पार के अपने  स्लोगन को हकीकत में बदलने के लिए जोर शोर से लग गई है। विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से ठीक पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष का जामताड़ा पहुंचना इसी रणनीति का हिस्सा है। मुख्यमंत्री रघुवर दास का संथाल को भगवामय करने का प्लान जामताड़ा में अमित शाह की सभा के बाद शुरू हो गया है। यात्रा के जरिए मुख्यमंत्री स्वयं सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को जनता के बीच लेकर जा रहे हैं और  भाजपा के लिए आशीर्वाद मांग रहे हैं। भाजपा ने जन आशीर्वाद यात्रा को एक खास रणनीति के तहत तैयार किया है। पार्टी का फोकस वैसी सभी सीटों पर विशेष काम करने का है, जहां पार्टी को पिछले विधानसभा चुनाव में कम वोट मिले थे या जहां दूसरे दलों के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। वैसे बूथों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो संथाल फतह का रोडमैप भाजपा ने 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान ही बना लिया था। यही कारण  है कि पिछले पांच सालों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हो या मुख्यमंत्री रघुवर दास दोनों शीर्ष नेताओं का सबसे  ज्यादा दौरा संथाल में ही हुआ है। भाजपा ने आदिवासी बहुल इस इलाके में सबका साथ सबका विकास के मूल मंत्र पर खूब काम किया। साहेबगंज में बंदरगाह से लेकर देवघर में एम्स तक कई बड़ी योजनाओं का शिलान्यास किया। केंद्र और राज्य सरकार ने इन योजनाओं पर दिन रात काम किया और चुनाव से ठीक पहले इनका उद्घाटन भी हो गया है। इसीलिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अपनी सरकार की उपलब्धियों के जरिए झामुमो को झटका देने पर तुला हुआ है। आदिवासियों के बाद इस इलाके में पिछड़ों और मुसलमानों की भी अच्छी खासी आबादी है। सरकार तीन तलाक और पिछड़ों के लिए कल्याण की कई योजनाएं शुरू कर झामुमो और कांग्रेस के परंपरागत वोटबैंक को छीनने का प्रयास कर रही है।

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