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अभूतपूर्व था बिहार बंद, लेकिन थोड़ी सी चूक की वजह से नहीं बन पाया ऐतिहासिक

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अभूतपूर्व था बिहार बंद, लेकिन थोड़ी सी चूक की वजह से नहीं बन पाया ऐतिहासिक.

सिटी पोस्ट लाइव : RJD के बिहार बंद का जोर सुबह 7 बजे से ही दिखने लगा.राज्य के सभी जिलों से बंद समर्थकों के सड़क पर उतर जाने, सड़क रेल यातायात को बाधित किये जाने की खबरें आने लगी. पटना में भी हर चौक चौराहे पर बंद समर्थक सड़क जाम कर सुबह से लेकर शाम तीन बजे तक प्रदर्शन करते रहे. लेकिन सबसे ख़ास बात ये थी कि जिस तरह की हिंसा और बवाल की आशंका थी, गलत साबित हुई. आयकर गोलम्बर से लेकर डाक बंगला चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे बंद समर्थकों ने लोगों को आने जाने से रोकने की कोशिश की तो लोगों के साथ उनकी बहस भी हुई. लेकिन किसी ने किसी के साथ लप्पड़ थप्पड़ नहीं किया. कोई लाठी डंडा भांजते नजर नहीं आया.

पहलीबार RJD का बिहार बंद इतना शांत और अनुशासित दिखा. कहीं कहीं कार्यकर्त्ता मोटर साइकिल चालकों और रिक्शा चालकों को रोकने की कोशिश करते जरुर दिखे लेकिन किसी की गाडी पर लाठी डंडा नहीं चलाया.एम्बुलेंस को लेकर वो विशेष सावधान दिखे.एम्बुलेंस को हर जगह तत्परता के साथ रास्ता देते दिखे. हर जगह नारेबाजी करते नजर आये. कोई टमटम से तो कोई घोडा पर घूमता नजर आया. कोई ढोल नगाड़े के साथ नाचता और प्रदर्शन करता नजर आया. किसी के हाथ में पहले की तरह लाठी डंडा नहीं दिखा.उन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस को खास मशक्कत नहीं करनी पडी. सुबह से दोपहर तक महागठबंधन के तमाम घटक दलों के नेता कार्यकर्त्ता शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करते रहे और पुलिस आराम से बैठी रही.

दोपहर बाद अचानक फुलवारीशरीफ से गोलीबारी और बंद समर्थकों के साथ स्थानीय लोगों के साथ हिंसक संघर्ष की खबर जरुरु आई. खबर आई कि फुलवारी शरीफ के सेंगर में गोली बम चल रहा है. दो लोगों को गोली लगी है.लेकिन जब सिटी पोस्ट लाइव की टीम वहां पहुंची तो देखा कि एक तरफ प्रदर्शनकारी थे तो दूसरी तरफ स्थानीय जनता और बीच में पुलिस बल के जवान तैनात थे. दोनों एक दुसरे से भिड़ने को बेताब थे लेकिन बीच में पुलिस खडी थी. दोनों पीछने हटाने को तैयार नहीं थे. सड़क पर जिस तरह से ईंट पत्थर बिखरा हुआ था, इस बात की गवाही दे रहा था कि यहाँ घंटो रोड़ेबाजी हुई है. सड़क पर ईंट पत्थर बिखरे पड़े थे. लेकिन न तो कोई गोलीबारी चल रही थी और ना ही बमबारी हो रही थी.

दरअसल, फुलवारी में सुनियोजित ढंग से साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश की गई. कुछ असामाजिक तत्वों ने शरारत की और अफवाह फैला दी. फिर क्या था स्थानीय लोग आपस में ही एक दुसरे के आमने सामने आ गए. आधे घंटे तक रोड़ेबाजी लेकिन हालात बिगड़ने से पहले ही पुलिस फाॅर्स पहुँच गई. स्थानीय लोगों का कहना था कि नेता वोट की राजनीति के लिए उन्हें हमेशा लड़ाने की कोशिश करते हैं. इसबार भी की. पुलिस हमेशा की तरह मूकदर्शक बनी रही. अगर शुरू में ही वो एक्शन में आ जाती तो आज का आरजेडी का बिहार बंद ऐतिहासिक हो जाता.

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