अधर में बिहार के ईन राजनीतिक दिग्गजों का भविष्य, तीसरी ताकत बनाने की जदोजहद जारी
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार NDA में सीटों का बटवारा हो चूका है. महागठबंधन का स्वरूप भी फाइनल पोजीशन में है. यानी अब NDA और महागठबंधन दोनों में से किसी में किसी नेता या दल के लिए अब वैकेंसी नहीं है. बिहार के एक दर्जन से ज्यादा बड़े राजनीतिक दिग्गजों का राजनीतिक भविष्य दावं पर लग गया है. इनमे से केवल एक पप्पू यादव और अरुण कुमार हैं, जिनकी अपनी पार्टी है. लेकिन इनमे इतना दमखम नहीं कि तीसरी ताकत बन सकें. फिर ऐसे में NDA और महागठबंधन से बाहर छुट चुके दल और नेताओं की सियासी छटपटाहट सामने आने लगी है.
हाशिए पर जाने के भय से परेशान ऐसे नेता नया आशियाना तलाश रहे हैं. दिग्गजों ने सामाजिक समीकरण और जोड़तोड़ पर फोकस बढ़ा दिया है.ऐसे नेताओं में सबसे चर्चित हैं जाप के नेता मधेपुरा सांसद पप्पू यादव. एकसाथ सबके खिलाफ मोर्चा खोलने की वजह से किसी गठबंधन में इन्हें जगह नहीं मिली .पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस की सांसद हैं. उसी पार्टी के साथ तालमेल की उम्मीद पाले बैठे थे. कोशिश भी बहुत की लेकिन तेजस्वी यादव के साथ खराब रिश्ते की वजह से बात बन नहीं पाई. दूसरी चर्चित नेत्री हैं आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद. लवली 2015 का विधानसभा चुनाव पांच सौ से कम वोटों से हारी थीं. आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर उन्हें काफी उम्मीद थी किसी गठबंधन में जगह मिलने की .लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
तीसरे दिग्गज हैं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी. कभी नीतीश कुमार के बहुत चहेते थे. लेकिन विद्रोह करने के बाद राजनीतिक वनवास झेल रहे हैं. कहने के लिए वो शरद यादव की पार्टी में तो हैं. लेकिन शरद यादव महागठबंधन में उनके लिए सीट की व्यवस्था कर पायेगें, इसकी संभावना बहुत कम है. चौथे नेता हैं जहानाबाद सांसद अरुण कुमार. पहले उपेन्द्र कुशवाहा के साथ थे. उनकी पार्टी के टिकेट पर ही चुनाव लड़े . लेकिन आगे चलकर राह बदल ली. दुबारा उपेन्द्र कुशवाहा के साथ खड़े नजर आ रहे हैं.महागठबंधन से चुनाव लड़ना चाहते हैं. लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा उन्हें मौका देगें इसकी संभावना बहुत कम ही है क्योंकि जिस जहानाबाद सीट से ये चुनाव लड़ना चाहते हैं उपेन्द्र कुशवाहा को मिलना मुश्किल है. अगर मिल भी गया तो उस सीट के प्रबल दावेदार हैं नागमणि .
पांचवे राजनीतिक दिग्गज हैं मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह.मुंगेर से चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं. महागठबंधन का टिकेट चाहते हैं. लेकिन तेजस्वी यादव इन्हें इंट्री देने को तैयार नहीं हैं. प्रदेश में कई और ऐसे नेता हैं जिनका राजनीतिक भविष्य संकट में है. पटना साहिब सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, दरभंगा सांसद कीर्ति आजाद, पुरनिया के पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ़ पप्पू सिंह और वैशाली से एलजेपी के सांसद राम किशोर सिंह किस दल से चुनाव लड़ेगें अभीतक तय नहीं हो पाया है. अब सबसे बड़ा सवाल क्या बिहार में कुछ हैरान करने वाले समीकरण उभर कर सामने आयेगें? क्या ईन राजनीतिक दिग्गजों को सियासी-सामाजिक समीकरणों और जरूरतों के हिसाब से किसी दल में जगह मिल पायेगी. राजनीतिक पंडितों का तो यहीं मानना है कि टिकेट के दावेदारों के बीच दल बदल के लिए भागदौड़ मचेगी.
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