सोनिया गांधी के लिए बड़ी चुनौती है बिहार, तेजस्वी नदारद हैं, ‘मांझी’ बम फोड़ रहे हैं,बचाना होगा कुनबा’
सोनिया गांधी के लिए बड़ी चुनौती है बिहार, तेजस्वी नदारद हैं, ‘मांझी’ बम फोड़ रहे हैं,बचाना होगा कुनबा’
सिटी पोस्ट लाइवः कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए बिहार सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है। क्योंकि वक्त कम है और महागठबंधन के बिखराव को रोकना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है। दरअसल 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बिहार में महागठबंधन की जो स्थिति है उससे साफ जाहिर है कि महागठबंधन को फिर समेटने जैसा मुश्किल काम करने के लिए बेहद कम वक्त बचा है।
आरजेडी अपनी कलह और पारिवारिक झगड़ों से उबर नहीं पा रही है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव गायब हैं। दूसरे सहयोगी दल के नेता पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने बम फोड़ दिया है कि वे अकेले चुनाव लड़ेंगे। रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा अपने पते नहीं खोल रहे हैं। शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का अब तक आरजेडी में विलय नहीं हो पाया है तो फिलहाल सबकुछ बिखरा-बिखरा सा हीं लग रहा है। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी गठबंधन के अस्तित्व को नकार रहे हैं। उनके बयानों में राजद-कांग्र्रेस से बढ़ रही दूरी साफ झलक रही है। तेजस्वी यादव ने मैदान छोड़ दिया है। उनकी गतिविधियों से लगता है कि राजनीति से उन्हें ज्यादा वास्ता नहीं रह गया है। पौने तीन महीने से पटना छूट चुका है। नई दिल्ली में नया बसेरा बना लिया है।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के कार्यक्रमों से भी खास मतलब नहीं रह गया है। ऐसे में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी का बयान विपक्ष में उम्मीद जगाती है। बकौल कादरी, सोनिया के आने से निराशा का भाव खत्म हो जाएगा। विपक्ष को संजीवनी मिल जाएगी। लालू प्रसाद के साथ उनके अच्छे संबंध रहे हैं। सबको साथ लेकर चलना बेहतर जानती हैं। जाहिर है सोनिया गांधी के लिए यह सबसे मुश्किल टास्क साबित हो सकता है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबध्ंान के कुनबे के बिखराव को समेटा जाए और सभी सहयोगियों को साथ लेकर एनडीए के खिलाफ लड़़ाई के लिए बिहार के इस विपक्षी कुनबे को तैयार किया जाए।
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