सिटी पोस्ट लाइव, रांची: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर पड़ोसी राज्य झारखंड में भी राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। झारखंड के 24 में से 10 जिले साहेबगंज, पाकुड़, दुमका, जामताड़ा, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, रांची, सरायकेला-खरसावां और पूर्वी सिंहभूम पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे है। इन जिलों में पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले कम से कम 10 लाख श्रमिक झारखंड में मजदूरी करते है, वहीं पश्चिम बंगाल के रहने वाले लाखों लोग झारखंड के विभिन्न सरकारी कार्यालयों, केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों और निजी कार्यालयों-प्रतिष्ठानों में भी कार्यरत है। ऐसे में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में झारखंड में रहने वाले श्रमिकों अथवा यहां काम करने वाले बांग्लाभाषी मतदाताओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
झारखंड और पश्चिम बंगाल की इसी मिलीजुली संस्कृति की समझते हुए सभी राजनीतिक दलों ने झारखंड के नेताओं-कार्यकर्त्ताओं का सहयोग लेने का निर्णय लिया है। बीजेपी ने झारखंड के तीन पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास को पश्चिम बंगाल चुनाव में लगा रहा है, हालांकि अर्जुन मुंडा अभी केंद्रीय जनजातीय मंत्री भी है और उनकी मदद से बीजेपी जनजातीय मतदाताओं को गोलबंद करने के प्रयास में जुटी है। इसी तरह से कांग्रेस आलाकमान ने झारखंड में पार्टी विधायक दल के नेता सह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल कर महत्वपूर्ण जिम्मेवारी सौंपी है, जबकि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, विधायक अनूप सिंह और दीपिका पांडे सिंह को भी पर्यवेक्षक बनाया गया है।
इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा, जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब पश्चिम बंगाल में पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे और अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में उम्मीदवार खड़ा करने का निर्णय लिया, तो टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भड़क गयी। आजसू पार्टी प्रमुख सुदेश महतो का कहना है कि अलग वृहद झारखंड आंदोलन की लड़ाई में पश्चिम बंगाल के कई जिले शामिल रहा है और अब भी उस क्षेत्र का समुचित विकास होना बाकी है, इसलिए आजसू पार्टी भी पश्चिम बंगाल में उम्मीदवार खड़ा करेगी।
पश्चिम बंगाल के सात जिले मालदा, मुर्शिदाबाद, वीरभूम, पश्चिम वर्धमान, पुरुलिया और झारग्राम जिले के दो दर्जन से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में झारखंड में काम करने वाले बांग्लाभाषी मतदाताओं का प्रभाव साफ नजर आएगा। भाजपा और कांग्रेस ने मालदा जिला के वैष्णवनगर, मोथाबारी, मानिकचक, रतुआ, मुर्शिदाबाद जिले के सुती, शमशेरगंज, फरक्का, वीरभूम जिले के रामपुर हाट, नलहैट, मुरारी, सैंथिया, सुरी, दुबराजपुर, पश्चिम वर्धमान जिले के बाराबनी, कुलटी, पुरूलिया जिले के वंदमान, बलरामपुर, बघमुंडी, जोयपुर, पुरुलिया, पारा, रघुनाथपुर और झारग्राम जिले के बीनापुर तथा गोपीबल्लभपुर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी नेताओं-कार्यकर्त्ताओं को अहम जिम्मेवारी सौंपने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि झारखंड के 10 जिलों में होने वाले निर्माण, विभिन्न औद्योगिक इकाईयों के अलावा शहरी क्षेत्रों में दिहाड़ी मजदूरी करने वालों में पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों की संख्या काफी अधिक है। इसके अलावा डीवीसी, कोयला कंपनियों और सेल समेत अन्य सार्वजनिक उपक्रमों में भी बड़ी संख्या में बांग्लाभाषी लोग कार्यरत है। साथ ही सरकारी कार्यालयों में भी बंगभाषी समुदाय की संख्या अच्छी है। इनसभी की भूमिका बंगाल चुनाव में प्रभावी और निर्णायक साबित हो सकती है।
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