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धनवार विधानसभा क्षेत्र पर पूरे राज्य की निगाह, राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटे बाबूलाल

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धनवार विधानसभा क्षेत्र पर पूरे राज्य की निगाह, राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटे बाबूलाल

सिटी पोस्ट लाइव, गिरिडीह: अभ्रक और पत्थर से भरपूर गिरिडीह जिले के धनवार विधानसभा क्षेत्र पर पूरे राज्य की निगाहें है। पूर्वी जमशेदपुर की तरह यह भी एक हाई प्रोफाइल सीट है, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा प्रमुख बाबूलाल मरांडी की किस्मत एक बार फिर दांव पर है। झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी पिछले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में हार के बाद एक बार फिर अपनी खोयी राजनीतिक जमीन यहां से तलाशने में जुटे हैं। बाबूलाल मरांडी दुमका और कोडरमा से पांच बार सासंद चुने गए हैं लेकिन पिछले कई सालों से वह संसद और विधानसभा नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसे में यह विधानसभा चुनाव उनके राजनीतिक करियर की दशा और दिशा दोनों तय करेगी। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में भाकपा माले के राजकुमार यादव ने बाबूलाल मरांडी को दस हजार से अधिक वोटों से हराकर उनके विधानसभा पहुंचने का सपना तोड़ दिया था और एक बार राजकुमार यादव समेत कई अन्य दिग्गज उनके राह में पत्थर की खान के लिए मशहूर राजधनवार में रोड़ा पैदा करने का काम कर रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में करीब 31 हजार मत लाकर तीसरे नंबर पर रहने वाले भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी लक्ष्मण प्रसाद सिंह पर भाजपा ने एक बार फिर भरोसा जताया है। लक्ष्मण प्रसाद सिंह विकास और प्रधानमंत्री के नाम पर उलटफेर करने का ख्वाब देख रहे हैं। ऐसे में चुनौती हर किसी के सामने खड़ी नजर आ रही है। गठबंधन के तहत यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में गई है और उसने निजामुद्दीन अंसारी को धनवार के दंगल में उतारा है। अल्पसंख्यक वोट बैंक और गठबंधन के वोट बैंक के दम पर अंसारी भी लगातार डटे हुए हैं। भाजपा से टिकट की आस में जुटे समाजसेवी अनुप संथालिया टिकट न मिलने पर निर्दलीय मैदान में उतरे और यहां के मुकाबले को बहुकोणीय बनाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। तीसरे चरण में राज्य की जिन 17 सीटों पर 12 दिसम्बर को वोट डाले जाएगें, उनमें से गिरिडीह की धनवार सीट भी एक है। धनवार विधानसभा क्षेत्र में राजधनबार, गांवा और तिसरी तीन प्रखंड है और यहां करीब तीन लाख साढ़े सात हजार मतदाता हैं। गांवा और तिसरी प्रखंड प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के साथ साथ नक्सलियों का प्रभाव वाला इलाका माना जाता है और इसकी सीमा बिहार राज्य के जमुई से सटती है। धनवार के चुनावी समर में हर उम्मीदवार पसीना बहा रहा है लेकिन जनता का भरोसा किसके साथ है, इसका खुलासा तो 23 दिसम्बर को मतगणना के साथ ही होगा। हालांकि ये हाई प्रोफाइल सीट कई नेताओं का भविष्य जरूर तय करेगी।

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