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आयुष्मान भारत का मकसद सिर्फ बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाना : आप

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आयुष्मान भारत का मकसद सिर्फ बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाना : आप
सिटी पोस्ट लाइव : प्रदेश आम आदमी पार्टी  के प्रदेश सचिव राजन कुमार सिंह ने कहा की आयुष्मान भारत योजना का मकसद सिर्फ बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि मोदी-रघुवर सरकार की इस योजना से झारखंड के आम नागरिकों को कोई लाभ नहीं होगा। आम आदमी पार्टी के अनुसार इस योजना में कई खामियां हैं और ये केवल एक चुनाव प्रचार की कोशिश है। इस योजना के नाम पर अरबों रुपए, भाजपा से जुड़ी बीमा कम्पनियों और प्राइवेट अस्पतालों को बांट दिए जाएंगे। आप की ओर से आज रांची में आयेजित प्रेस वार्ता में राजन कुमार सिंह ने कहा कि रघुवर सरकार ढिंढोरा पीट रही है कि राज्य के 57 लाख परिवार, यानी 2.75 करोड़ लोगों का बीमा कराया गया है। प्रत्येक परिवार के लिए 5 लाख तक के बीमा के प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जा रहा है। लेकिन सरकार ने जान-बूझकर उन 57 लाख परिवारों की सूची जारी नहीं की है जिन्हें इस योजना का लाभ मिलना है। बीमा कंपनियों के फायदे के लिए सूची सार्वजनिक नहीं की जा रही है। बीमा कंपनियों को तो 57 लाख परिवार (2.75 करोड़ लोगों) के लिए सरकार की ओर से प्रीमियम की राशि मिल जाएगी। वहीं बीमा कंपनियों को बहुत ही कम लोगों के इलाज का खर्च उठाना पड़ेगा क्घ्योंकि ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चल सकेगा कि उनका नाम सूची में है या नहीं। ऐसे में जो लोग इलाज के लिए अस्पताल जा रहे हैं, उन्हें तरह-तरह के बहाने बनाकर वापस लौटाया जा रहा है। एक साजिश के तहत केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिनांक 30-8-18 को एक अधिसूचना जारी करके आयुष्मान भारत के लिए कई शर्तें रख दी है। इसकी वजह से झारखंड के ज्यादातर जरूरतमंद परिवार इस योजना से स्वतः बाहर हो जाएंगे। जिसके पास कोई स्कूटी, बाइक, ऑटो होगा, उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
जिस परिवार में कृषि उपकरण है,  या किसी सदस्य की आय 10,000 रु मासिक है, उसे भी इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। जिसके पास मात्र 2.5 एकड़ सिंचित भूमि होगी, उसका इलाज भी नहीं होगा जबकि झारखंड में भूमि की उत्पादकता कम होने के कारण ज्यादातर कृषक परिवार खासकर आदिवासी काफी आर्थिक संकट में रहते हैं। इसी तरह, किसी परिवार में फ्रिज हो तो उसे भी योजना से बाहर कर दिया जाएगा। स्वास्थ मंत्रालय की अधिसूचना में डीसी को अधिकार दिया गया है कि किस तरह बड़ी संख्या में लोगों को इस योजना से बाहर करें। लेकिन किसी जरूरतमंद को योजना में शामिल करने का अधिकार डीसी को नहीं दिया गया है। इस योजना का लाभ उठाने की पात्रता रखने वाले जिन परिवारों का नाम सामाजिक-आर्थिक-जाति सेंसस 2011 में नहीं है, उन्हें जोड़ने का कोई प्रावधान नहीं है।
इस बात को भी सरकारी प्रचार में छुपाया जा रहा है कि इस योजना के तहत सिर्फ उनको ही लाभ मिलेगा जो अस्पताल में भर्ती होंगे। झारखंड में प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह खत्म है। इसलिए जरूरतमंद लोगों को इस योजना के तहत अनावश्यक रूप से अस्पताल में भर्ती होना होगा। जो इलाज सिर्फ एक घंटे में हो सकता था, उसके लिए मरीज को दो दिन अस्पताल में भर्ती कर दिया जाएगा।
आम आदमी पार्टी ने रघुवर सरकार से मांग की है कि वह जिन 57 लाख परिवारों को लाभ देने का ढिंढोरा पीट रही है, उनकी सूची तुरंत सार्वजनिक करे। पार्टी ने मांग की है कि कागज़ी कार्यवाई और अप्रूवल के चक्कर में इलाज में कोई देरी ना हो। अगर इस देरी की वजह से किसी की जान जाती है तो अस्पताल प्रबंधन पर इरादतन हत्या का मुकदमा चला कर सजा का प्रावधान किया जाय।

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