सहरसा : प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के रिश्वत मांगने का ऑडियो हुआ वायरल
ढ़ाई लाख रिश्वत लेकर हुई बहाली, सिविल सर्जन से की शिकायत
सिटी पोस्ट लाइव : सहरसा में पुलिस-प्रशासन से लेकर सरकार के सभी विभागों में लूट की त्रिवेणी बह रही है। घूसखोरी में यह जिला नया कीर्तिमान बना रहा है। ताजा मामला स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा हुआ है। सहरसा के पंचगछिया प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा एक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी से 15 दिन के वेतन वापसी करने की माँग का ऑडियो सोशल मीडिया पर, तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल ऑडियो में पंचगछिया प्राथमिक स्वास्थ केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर रमेश सिंह, स्वास्थ केंद्र प्रबंधक राज कुमार सिंह और एक दैनिक वेतनभोगी डाटा ऑपरेटर अखिल आनंद की आवाज बताई जा रही है। हालांकि, तत्काल हम इस ऑडियो में कैद आवाज किन-किन व्यक्ति की है, इसकी पुष्टि अपनी तरफ से नहीं कर रहे हैं। इस ऑडियो की पुष्टि, जाँच के दौरान, खुद ब खुद हो जाएगी।
पिछले चार दिनों से वायरल इस ऑडियो की पड़ताल करने पर, जो कहानी निकल कर सामने आई है, वो कुछ इस तरह है। दरअसल, शनिवार को पीड़ित अखिल आनंद सिविल सर्जन कार्यालय अपनी शिकायत लेकर पहुँचे हुए थे। उन्होंने ऑडियो में बताई गई आवाज की पुष्टि की। अखिल आनंद ने बताया कि उसे और उसके साथ शिवम कुमार सिंह और नरेश कुमार पंडित को डाटा ऑपरेटर (वेरीफायर) के तौर पर इसी वर्ष 19 अगस्त को बहाल किया गया था। बहाली के समय कहा गया था कि संविदा पर बहाल करेंगे। इसके बदले ढ़ाई लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई थी। उसने, तत्काल कर्ज लेकर एक लाख रुपया, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के वेश्म में, प्रबंधक राज कुमार सिंह को दिया।
सुनिए चिकित्सा पदाधिकारी का ऑडियो
शेष डेढ़ लाख की राशि साढ़े चार हजार रुपये की मासिक किश्त के हिसाब से वेतन मिलने पर, उसमें से काट लेने पर तय हुआ था। बेहद दिलचस्प बात है कि दो माह की किश्त का भुगतान मैनेजर ने अपने एक रिश्तेदार के एकाउंट में लिया। इस बीच काम नहीं रहने की बात कह कर, पीड़ित युवक को 15 दिन की छुट्टी दे दी गई। किंतु, उसके खाते में पूरे महीने का वेतन आ गया। आठ नवम्बर को प्रभारी ने उक्त युवक से छुट्टी के दौरान के 15 दिन के वेतन की राशि वापिस मांगने लगे। उसने जब वेतन देने से मना किया, तो प्रभारी डॉक्टर ने कहा कि तुम लोग दैनिक वेतन भोगी हो। काम किये ही नहीं, तो वेतन कैसे मिलेगा। तब, अखिल आनंद को पता चला कि संविदा पर नहीं, बल्कि दैनिक वेतनभोगी के तौर पर उसकी बहाली हुई है। उसे काम से भी हटा दिया गया। शनिवार को सिविल सर्जन के प्रभारी मंत्री जीवेश मिश्रा की बैठक में शामिल होने की वजह से उसने सिविल सर्जन के वेश्म में मौजूद एसीएमओ रविंद्र कुमार को शिकायती आवेदन सौंपा।
गौरतलब है कि अखिल आनंद को दैनिक वेतन डाटा वेरिफायर के रूप रखा गया था। इस बाबत जब हमने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. रमेश सिंह से बात की, तो उनका कहना है कि इस कार्य में, कम से कम सौ डाटा इंट्री रोज करने पर, वेतन दिया जाता है। आरोप लगाने बालक युवक, समय से ऑफिस भी नहीं आता है। अखिल आनंद के काम के प्रति उदासीनता और काम पर लगातार नहीं रहने से, उसे हटा दिया गया है, अब वह उन पर झूठा आरोप लगा रहा है। लेकिन हमारे पास मौजूद साक्ष्य के आधार पर, यह साफ है कि डॉक्टर रमेश सिंह झूठी सफाई दे रहे हैं। जिले में युवाओं को विभिन विभागों में ढ़ाई से तीन लाख रुपये का नजराना लेकर ही, बहाली हो रही है। नीतीश सरकार में अभी यह व्यवस्था, करीब-करीब कानून का शक्ल अख्तियार कर चुका है।
पीटीएन मीडिया ग्रुप के मैनेजिंग एडिटर मुकेश कुमार सिंह
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