नाराज लवली आनंद ने कहा-महागठबंधन जैसे ठगबंधन को हराना ही लक्ष्य
सिटी पोस्ट लाइव : कांग्रेस के द्वारा शिवहर से लोकसभा सीट पर उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से खफा पूर्व सांसद लवली आनंद ने महागठबन्धन से आर-पार की लड़ाई का मूड बना लिया है। जीतन राम मांझी की पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाली लवली आनंद को कांग्रेस की कार्यशैली से बेहद दुःख पहुँचा है। यही वजह है कि इसबार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का ना केवल मन बना लिया है बल्कि महागठबन्धन को जद से सबक सिखाने की मुनादी भी कर दी है। फ्रेंड्स ऑफ आनंद के बिहार प्रदेश प्रवक्ता पवन राठौर ने लवली आनंद की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया है। इस विज्ञप्ति में पूर्व सांसद लवली ने महागठबंधन को ठगबंधन करार देते हुए कहा कि हमारे पुरखों की असीम कुर्बानियों से देश में एक तरफ जहाँ आजादी आयी वहीं डेज़ह में लोकतंत्र भी आया।
लेकिन वर्तमान की राजनीति आज तिजारत बन कर रह गई है ।एक बेहद गलत और खतरनाक ‘ट्रेंड’ चल पड़ा है। पार्टियों के निष्ठावान और ईमानदार कार्यकर्ता जमीनी संघर्ष करते मर-खप जाते हैं और पैराशूट से लूटेरे धनपशु चुनावी टिकट खरीद कर कहीं से अचानक टपक जाते हैं। राजनीति में धनपशुओं के खिलाफ एक निर्णायक संघर्ष वक्त का तकाजा है। ऐसे ठगबंधन वाले महागठबंधन को हराना जरूरी है। लवली आनन्द अपने समर्थकों के साथ आगामी 2 अक्टूबर 2019 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर रविंद्र भवन, पटना से राजनीति में धनबल के दुरुपयोग के खिलाफ निर्णायक जंग का आगाज करेंगी। उन्होंने आगे कहा कि शहीदों के बलिदान से मिली आजादी और जनतंत्र को बचाना, इस देश के नौजवानों का फर्ज है ।
लवली आनंद ने आगे कहा है कि वर्तमान चुनाव के मद्देनजर हम और हमारे समर्थक ने निर्णय लिया कि फ्रेंड्स ऑफ आनंद चौथे चरण की मुंगेर संसदीय सीट पर जद ‘यू’ के ललन सिंह,पांचवे चरण की मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी में क्रमशः अजय निषाद और सुनील कुमार ‘पिंटू’,छठे चरण की शिवहर से रमा देवी और मोतिहारी में राधामोहन सिंह को समर्थन देगा । वैशाली सीट को लेकर फिलहाल निर्णय स्थगित रखा गया है । फ्रेंड्स ऑफ आनन्द का मानना है कि यहाँ स्थिति सांप-छुछुन्दर की है ।एक तरफ शिवहर टिकट बंटवारे का गुनहगार और सवर्ण आरक्षण विरोधी राजद प्रत्याशी चुनावी समर में हैं और दूसरी ओर राजनीति को तिज़ारत बनाने वाले टिकटों की खरीद-फरोख्त करने वाले धनपशु । इसलिए वैशाली में विस्तृत विमर्श तक फैसला फिलहाल सुरक्षित रखा गया है ।चौथे,पांचवे और छठे चरण की शेष सीटों पर फैसला कार्यकर्ताओं के स्वविवेक पर छोड़ दिया गया है ।
मालूम हो कि बीते 23 अप्रैल के चुनाव में मधेपुरा और सुपौल में जदयू के पक्ष में श्रीमती लवली आनंद ने वोट भी मांगा जिसके असर से एनडीए दोनों सीट जीत रही है । उस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मधेपुरा और सुपौल की कई चुनावी सभा में आनन्द मोहन और उनके समर्थकों को धन्यवाद कहते हुए,शुक्रिया भी अदा किया ।फ्रेंड्स ऑफ आनंद के प्रदेश प्रवक्ता पवन राठौर ने अपने बयान में कहा है कि इस चुनाव में आनन्द मोहन के समर्थक का नारा है” जो आनन्द मोहन की रिहाई की बात करेगा, वही बिहार में राज करेगा” ।इस नारे का बिहार की जनता में भावनात्मकता के साथ व्यापक असर भी देखा जा रहा है ।वाकई यह सारी रणनीति जेल की सलाखों में कैद पूर्व सांसद आनंद मोहन की है जिसने बिहार चुनाव को बेहद रोमांचक और निर्णायक बना दिया है ।इस बार की आनंद मोहन की रणनीति से एक तरफ जहां महागठबन्धन पर महा संकट मंडरा रहा है,वहीं एनडीए की बल्ले-बल्ले है ।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट
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