City Post Live
NEWS 24x7

नाराज आनंद मोहन बने महागठबंधन के गले की हड्डी, क्यों कर रहे NDA को समर्थन

-sponsored-

-sponsored-

- Sponsored -

नाराज आनंद मोहन बने महागठबंधन के गले की हड्डी, क्यों कर रहे NDA को समर्थन

सिटी पोस्ट लाइव : अपनी जिद्द और अपने स्वाभिमान की वजह से तथाकथित राजीनतिक सूरमाओं के सामने कभी भी घुटने नहीं टेकने वाले पूर्व सांसद आनंद मोहन ने जेल से एनडीए को समर्थन देकर बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया है। आनंद मोहन हत्या के एक मामले में साजिशतन आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। कुछ महीने बाद ही उनकी सजा पूरी होने वाली है। इतने लंबे समय तक काल कोठरी में बन्द आनंद मोहन आज देश स्तर के कवि, कथाकार, इतिहासकार, साहित्यकार और दार्शनिक होने का अजीम दर्जा पा चुके हैं। दशरथ मांझी पर उनके आलेख को सीबीएसई की पढ़ाई में शामिल किया जाना, अतिशय गौरव की बात है। आनंद मोहन, अपनी पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद को शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहते थे। शिवहर सीट से लवली आनंद को टिकट मिलेगा, इसी खुशफहमी में लवली आनंद ने कुछ महीने पहले ही, जीतनराम मांझी की पार्टी हम से नाता तोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था। लेकिन महागठबन्धन के नायक तेजस्वी यादव, काल बनकर उभरे और महागठबन्धन में शिवहर की सीट को अपने पाले में ले लिया।

इस गम्भीर मामले में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने ईमानदारी से अपनी भूमिका नहीं निभाई ।महागठबन्धन में तेजस्वी यादव हिटलर की भूमिका में हैं और इस महागठबन्धन में शामिल सारे घटक दल मेमने की तरह हैं ।सबसे बड़ी फजीहत तो कांग्रेस की है ।कांग्रेस पार्टी तेजस्वी यादव के सामने बस दुम हिलाने वाली पार्टी बनकर रह गयी है ।11 सीट पर अड़ी कांग्रेस को 9 सीटों पर समझौता करने के लिए विवश होना पड़ा ।महागठबन्धन में राजद के बीच अभी भी भीषण घमाशान मचा हुआ है ।मंगनी लाल मंडल,अली अशगर फातमी सहित कई कद्दावर नेताओं ने राजद को अलविदा कह दिया है ।कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता शकील अहमद ने बगावत कर दी है और वे निर्दलीय चुनावी समर में कूदने की घोषणा भी कर चुके हैं ।लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव लालू-राबड़ी मोर्चा बनाकर,खुद को असली राजद के नायक होने का दम्भ भर रहे हैं ।ते

जप्रताप यादव राजद के कई प्रत्यासी के खिलाफ में प्रचार भी कर रहे हैं ।इन तमाम नाटकों से महागठबन्धन में राजद की भूमिका विलेन की बनकर रह गयी है ।इन्हीं तमाम प्रकरण से तंग और परेशान होकर,पूर्व सांसद आनंद मोहन ने अपने बिहार भर के समर्थकों की कई सभा और मीटिंग करवाई,की इस विकट परिस्थिति में किस तरह का फैसला उचित होगा,इसपर उनके समर्थक भी चिंतन-मनन और बहस-विमर्श करें ।जेल में बन्द रहने वाले आनंद मोहन की मजबूत पकड़ और बड़ा जनाधार,बिहार में राजपूत समाज से लेकर सर्वसमाज के बीच में है ।आनंद मोहन में यह ताकत है कि वे बिहार में नेताओं और पार्टियों के खेल बना भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं ।यानि आनंद मोहन के पास जिताने और हराने,दोनों की ताकत मौजूद है ।महागठबंधन में पूर्व सांसद लवली आनन्द की उपेक्षा और गठबंधन के कथित बड़े नेताओं द्वारा सीटों में करोड़ों रुपये के कारोबार से आहत पूर्व सांसद आनन्द मोहन के समर्थकों ने तत्काल बिहार के मधेपुरा और सुपौल में एन.डी.ए. के उम्मीदवार को समर्थन देने का बड़ा फैसला लिया है ।

आनंद मोहन खेमे से मिली जानकारी के मुताबिक आनन्द मोहन और उनके समर्थकों की सोच,चरित्र और चिंतन ही समाजवादी है और इसी आधार पर उनलोगों ने कांग्रेस,वामदल और समाजवादियों के महागठबंधन को पसंद किया था ।लेकिन खेद की बात है कि वे वहां पर धोखा खा गए ।महागठबंधन ने आनंद मोहन के जनाधार की जान-बूझकर उपेक्षा की है ।फिर गठबंधन के कथित बड़े नेताओं ने जिस तरह सीटों के बंटवारे में करोड़ों का काला कारोबार किया,वह “लाज और शर्म को भी लजाने और शर्माने वाली” है ।रुपयों का यह बेशर्म खेल, लोकतंत्र की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है ।फ्रेंड्स ऑफ आनंद के प्रदेश प्रवक्ता पवन राठौर ने तल्खी भरे लहजे में कहा है कि “आजादी और जनतंत्र’ की बहाली के लिए उनके महान पुरखों ने यही दिन देखने के लिए अपनी असीम कुर्बानियां नहीं दी थी ।ऐसे में फ्रेंड्स ऑफ आनन्द का शीर्ष नेतृत्व और समर्थकों में आपसी सहमति के बाद महागठबंधन को सबक सिखाने के लिए तत्काल बिहार के मधेपुरा और सुपौल की संसदीय सीटों पर एन.डी.ए. के उम्मीदवार दिनेश चंद्र यादव और दिलेश्वर कामत को समर्थन देने का फैसला लिया है ।

इस फैसले के बाद ही ‘आनन्द मोहन के समर्थकों और फ्रेंड्स ऑफ आनन्द की जिला इकाई द्वारा प्रचार-प्रसार भी तेज कर दिया गया है ।आनंद मोहन समर्थक फेंड्स ऑफ आनंद के बैनर तले टुकड़ियों में बंटकर विभिन्य क्षेत्रों में तूफानी प्रचार में जुटे हुए हैं ।इस समर्थन से क्षेत्रीय जनता में काफी हर्ष है ।लोग खुलकर इसकी खूब सराहना कर रहे हैं ।हमें मिली जानकारी के मुताबिक बिहार की शेष लोकसभा सीटों पर आनंद मोहन के समर्थकों के समर्थन देने संबंधी बातों की जल्द ही आधिकारिक तौर पर घोषणा की जाएगी ।यानि आनंद मोहन समर्थक महागठबन्धन को तपा-तपाकर राजनीतिक चोट और झटके देने की तैयारी में हैं ।1995 में आनंद मोहन ने अपनी खुद की पार्टी बिहार पीपुल्स पार्टी को खड़ा किया था ।पुनः इस पार्टी को मजबूत करने की कवायद अभी से ही तेज कर दी गयी है,जिससे आगामी 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में यह पार्टी बिहार के सभी दलों को चुनौती दे सके ।पूर्व सांसद आनंद मोहन अब अपनी पत्नी लवली आनंद को लोकसभा चुनाव लड़ाने की जगह,उनके साथ हुए छल का जबाब देने की तैयारी कर चुके हैं ।बिहार के तीसरे चरण का चुनाव 23 नवंबर को होना है ।इसी चरण में मधेपुरा और सुपौल का चुनाव होना है ।ऐसे में मधेपुरा से एनडीए के जदयू प्रत्याशी दिनेश चन्द्र यादव और सुपौल से एनडीए के जदयू प्रत्याशी दिलेश्वर कामत को काफी फायदा मिल रहा है और वे काफी मजबूत दिख रहे हैं ।यानि आनंद मोहन ने महागठबन्धन की कब्र खोदने की शुरुआत कर दी है ।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

Comments are closed.