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देश के 62करोड़ अन्नदाताओं के हितों की रक्षा के लिए सभी एकजुट हो: उरांव

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: कृषि से संबंधित कानूनों में बदलाव को लेकर संसद में पारित तीन विधेयकों के खिलाफ कांग्र्रेस द्वारा चलाये जा रहे देशव्यापी चरणबद्ध आंदोलन के क्रम में आज राजधानी रांची में किसान सम्मेलन कर राज्य के विभिन्न हिस्सों से आये किसानों को हल-जोत देकर सम्मानित किया गया और इस काले कानून के खिलाफ आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव की अध्यक्षता में आहूत किसान सम्मेलन को कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, कृषि मंत्री बादल, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, विधायक दीपिका पांडेय, इरफान अंसारी, ममता देवी समेत अन्य नेताओं ने संबोधित किया।
राजधानी रांची के डिप्टी पाड़ा स्थित डॉ. रामेश्वर उरांव के सरकारी आवास में सोशल डिस्टेसिंग के साथ आयोजित किसान सम्मेलन में भाजपा सरकार द्वारा संसदीय परंपरा और लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत जबरन पारित किये गये किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य ( संवर्धन और सुविधा ) विधेयक 2020 , किसान सशक्तीकरण और संरक्षण मूल्य आश्वासन कृषि सेवा विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020 को हरित क्रांति को विफल करने की साजिश कराते हुए आंदोलन को गांव-गांव और जन-जन तक ले जाने का संकल्प लिया।
राज्य के सभी जिलों से आये हुए किसानों को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उराँव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी सरकार ने तीन काले कानूनों को संसद से पारित कर देश के 62 करोड़ अन्नदाताओं व खेत खलिहानों पर सीधा हमला कर अपने पूंजीपति मित्रों का हित साधने तथा देश मे वर्षों पूर्व कांग्रेस पार्टी द्वारा समाप्त किये गए जमींदारी प्रथा को पुनः बहाल करने एवं जमाखोरों मुनाफाखोरों को बढ़ावा देने का काम किया है। उनहोंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल  में देश के अर्थव्यवस्था की रीढ कृषि गहरे संकट में चला गया है। समय पर न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलने से किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ता चला गया नोटबन्दी जैसे कदम ने  नकद आधारित कृषि अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया हैं । केंद्र सरकार ने तीन काले कानूनों माध्यम से किसान , खेत मजदूर छोटे दुकानदार , मंडी मजदूर  एवं कर्मचारियों की आजीविका पर एक क्रूर हमला किया है। मोदी सरकार का यह प्रयास देश की हरित क्रांति पर हमला है।

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