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नगर निकाय के अधिकारों में कटौती वाले गजट प्रकाशन से भड़के सभी मेयर

नए कानून बनाने वाले प्रधान सचिव और अन्य अफसरों पर आपराधिक केस करने का लिया फैसला.

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सिटी पोस्ट लाइव : नगर निकाय के अधिकारों में कटौती वाले गजट प्रकाशन के खिलाफ बिहार के सभी मेयर गुस्से से लाल हैं.बुधवार को पटना नगर निगम में महापौर, उप महापौर काउंसिल ऑफ बिहार की हुई बैठक में सभी ने एक आवाज में इस नये कानून का विरोध किया. उन्होंने कहा कि निगम को दिफंग बनाने की कोशिश हो रही है.इस नए कानून को बनाने वाले नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव व अन्य संलिप्त अफसरों और कर्मियों पर आपराधिक केस किये जाने का फैसला लिया गया.

सभी सदस्यों ने इसे काला कानून बताते हुए साफ किया कि पटना नगर निगम के सशक्त स्थायी समिति सदस्य डॉक्टर आशीष सिन्हा की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका में काउंसिल इंटरवेनर बनेगा. बैठक में मुजफ्फरपुर के मेयर सुरेश कुमार, बेगूसराय के निवर्तमान मेयर उपेंद्र प्रसाद सिंह, गया के बीरेंद्र कुमार, पटना की डिप्टी मेयर मीरा देवी भी मौजूद थीं.गौरतलब है कि कोरोना की वजह से पंचायत चुनाव बाधित है। संविधान के 73वां व 74वां संशोधन के आधार पर बिहार सरकार की ओर से पंचायती राज व्यवस्था के तहत सभी स्थान पर उसी पद को परामर्शी बनाया गया है. दूसरी तरफ, प्रदेश के शहरी निकाय के तहत बेगूसराय नगर निगम या अन्य निकायों में प्रशासक नियुक्त किया जा रहा है.

इस बैठक में सर्व सम्मति से 6 बड़े फैसले लिए गये.

1. नगरपालिका की शक्ति छीनने के खिलाफ सशक्त स्थायी समिति सदस्य की याचिका पर काउंसिल इंटरवेनर बनेगा।

2. पहले काटे गए अधिकारों के खिलाफ और बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 में वायरस के रूप में मौजूद अनेक प्रावधानों के खिलाफ कोर्ट में अलग से याचिका दाखिल की जाएगी.

3. 31 मार्च को सरकार की ओर से प्रकाशित गजट काला कानून है.

4. संविधान के खिलाफ सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखकर पारित कराने वाले पदाधिकारियों – नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव और अन्य पदाधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ क्रिमिनल रीट दायर की जाएगी.

5. मेयर व डिप्टी मेयर के कार्यकाल में तीन बार अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के नियम को समाप्त कर सरकार कार्यकाल में एक बार अविश्वास प्रस्ताव का नियम लाए.

6. शहरी निकायों में भी पंचायती राज व्यवस्था के तहत कार्यकाल समाप्ति के बाद परामर्शी समिति का गठन हो। प्रशासक की नियुक्ति न हो.

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