सिटी पोस्ट लाइव, रांची: आजसू पार्टी ने मंगलवार को पूरे झारखंड में संकल्प दिवस मनाया। संकल्प दिवस के अवसर पर आजसू पार्टी के द्वारा अलग-अलग जगहों पर रक्तदान एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राँची स्थिति केंद्रीय कार्यालय में भी रक्तदान शिविर लगाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत कोरोना से जान गंवाने वाले दिवंगत आत्माओं एवं झारखंड के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने से हुई।संकल्प दिवस के अवसर पर संबोधित करते हुए आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा कि आजसू पार्टी ने समर्पण की गाथा को आगे बढ़ाते हुए पूरे प्रदेश की जिला इकाइयों और जहां सम्भव हो पाया उन प्रखंड इकाइयों में भी रक्तदान शिविर का आयोजन किया। साथ ही आज पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पूरे राज्य में वृक्षारोपण भी किया।
उन्होंने कहा कि बंगाल में जो जनमत आया है उससे वृहद झारखंड की सोच को पुनर्स्थापित करने को लेकर बल मिला है। आजसू पार्टी ने यह तय किया है कि झारखण्डी भावना वाला जो हिस्सा है, जो ना केवल भौगौलिक रुप से अपितु सामाजिक रुप से भी झारखंड से मेल खाता है, उनके हक और अधिकार के लिए बड़े आंदोलन का नेतृत्व करेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि ओड़िसा का वो हिस्सा जो वृहद झारखंड क्षेत्र में आता है वहाँ भी आजसू पार्टी जनमत संग्रह करेगी।
कोविड संक्रमण और उससे उपजी समस्याओं को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार इस संकट से लड़ने में पूर्ण रुप से विफल रही और सरकार का पूरा महकमा इस संकटकाल में असंगठित दिखा। इन समस्याओं से लड़ने के लिए कोई ठोस रुपरेखा अभी तक तैयार नहीं हुई है। जनता को इस संकट से निकालना और उनके लिए दूरगामी प्रयास करना सरकार का मूल दायित्व है लेकिन इसके विपरीत झामुमो महागठबंधन की सरकार कोविड के नाम पर समय काट रही है।
सुदेश महतो ने कहा कि सत्ता में आने से पहले झामुमो ने हर साल पांच लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी। लेकिन पिछले डेढ़ वर्षों का अनुभव बताता है कि झामुमो महागठबंधन सरकार के तमाम दावों के विपरीत बेरोजगारी विकराल रुप धारण कर चुकी है। सरकार का सभी दावा केवल खोखला साबित हो रहा है। साथ ही पिछले चौदह महीने से सरकारी स्कूल बंद चल रहे हैं। सरकार और शिक्षा विभाग बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाने का दावा करती है लेकिन हकीकत के धरातल पर तस्वीर इससे उलट ही नज़र आती है। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के पास स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं होने के कारण लाखों विद्यार्थी पढ़ाई से दूर जा चुके हैं।
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