इसी महीने खाली हो रही हैं बिहार विधान परिषद की 29 सीटें, जानें क्या है समीकरण?
सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना की वजह से इसी महीने बिहार की खाली हो रही विधान परिषद् 29 सीटों का चुनाव अधर में लटक गया है. बिहार में विधान परिषद की कुल 75 सीटें हैं, जिनमें 29 सीटें वक्त खाली हो रही हैं. इनमें 17 सीटों का कार्यकाल 6 मई को खत्म हो चुका है, जबकि 12 सीटों का कार्यकाल 23 मई को खत्म होगा. इन सीटों को अलग-अलग कैटेगरी में बाँट कर देखें तो विधानसभा कोटे की 9 सीटें खाली हो गई हैं, जबकि स्नातक और शिक्षक कोटे की चार-चार सीटें खाली हो गई हैं. इसके अलावा राज्यपाल (Governor) कोटे की दस सीटें 23 मई को खाली हो रही हैं, लेकिन जेडीयू के लल्लन सिंह और एलजेपी के पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) के सांसद बन जाने के बाद उनकी भी दो सीटें खाली पड़ी हैं, जो कि राज्यपाल कोटे की ही सीटें थीं. ऐसे में राज्यपाल कोटे की सीटों की संख्या बढ़कर 12 हो जाती है.
बिहार में जिन लोगों का विधानपरिषद का कार्यकाल समाप्त हुआ है, उनमें नीतीश सरकार में जेडीयू कोटे के दो मंत्री नीरज कुमार और अशोक चौधरी भी शामिल हैं. इसके अलावा जेडीयू कोटे से विधान परिषद सदस्य और विधानपरिषद के सभापति हारून रशीद का भी कार्यकाल भी पिछले 6 मई को खत्म हो गया है. इन तीनों के अलावा पूर्व मंत्री पीके शाही, सतीश कुमार, हीरा प्रसाद बिंद और सोनेलाल मेहता की सीट भी खाली हो गई है. ये सभी जेडीयू के नेता विधानसभा कोटे से विधानपरिषद के सदस्य रहे हैं. उधऱ, बीजेपी की तरफ से पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी संजय मयुख, राधा मोहन शर्मा और कृष्ण कुमार सिंह की सीट खाली हुई है.
इसके अलावा, शिक्षक कोटे से सारण क्षेत्र से सीपीआई नेता केदार पांडे, दरभंगा से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, तिरहुत क्षेत्र से सीपीआई के संजय कुमार सिंह और पटना क्षेत्र से बीजेपी के प्रो. नवल किशोर यादव का कार्यकाल खत्म हो गया है. जबकि स्नातक कोटे से पटना क्षेत्र से बिहार सरकार में मंत्री नीरज कुमार, दरभंगा क्षेत्र से दिलीप कुमार चौधरी, कोसी क्षेत्र से बीजेपी के डॉ. एन के यादव और तिरहुत क्षेत्र से देवेश चंद्र ठाकुर का कार्यकाल खत्म हो गया है.
इन सभी सीटों पर चुनाव होने की स्थिति में मौजूदा समीकरण के हिसाब से विधानपरिषद की एक सीट के लिए 25 विधायकों की जरूरत होगी. एनडीए के संख्या बल की बात करें तो इस वक्त जेडीयू के 70, बीजेपी के 54 और एलजेपी के दो एमएलए हैं. जबकि विपक्षी दलों में आरजेडी के 79 और कांग्रेस के 26 एमएलए हैं. इसके अलावा सीपीआईएमएल के तीन, जीतनराम मांझी की पार्टी हम सेक्युलर से वे खुद एकमात्र विधायक हैं. ओवैसी की पार्टी ने पहली बार बिहार में अपना खाता खोला है और उसका भी एक विधायक है. जबकि 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में निर्दलीय विधायकों की तादाद पांच है.
इस तरह मौजूदा संख्या बल के हिसाब से जेडीयू को तीन और बीजेपी को दो विधानपरिषद की सीटें मिलनी तय लग रही हैं. जबकि आरजेडी को तीन और कांग्रेस को एक सीट मिलने की संभावना दिख रही है. अगर कोरोना का संकट और उसके चलते लॉकडाउन की स्थिति नहीं होती तो अब तक 17 सीटों पर बिहार में विधान परिषद का चुनाव हो चुका होता और शायद राज्यपाल कोटे से भी विधानपरिषद की 12 सीटों पर सदस्यों को मनोनीत करने की प्रक्रिया पूरी हो गई होती. लेकिन कोरोना काल में चुनावी प्रक्रिया पर भी विराम लग गया है. हालांकि चुनाव आयोग ने अगले 21 मई को महाराष्ट्र में विधानपरिषद का चुनाव कराने का फैसला किया है. ऐसे में बिहार में भी उम्मीद जताई जा रही है कि महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के बाद बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो जायेगी.
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