झारखंड चुनाव : आदिवासी बहुल 28 सीटें तय करेगीं किसकी बनेगी सरकार
झारखण्ड की ईन 28 आदिवासी प्रभाव वाली सीटों पर जीत के लिए BJP कर रही विशेष तैयारी.
झारखंड चुनाव : आदिवासी बहुल 28 सीटें तय करेगीं किसकी बनेगी सरकार
सिटी पोस्ट लाइव :झारखंड में सरकार किसकी बनेगी, ये तय यहाँ का आदिवासी समाज करेगा. गौरतलब है कि राज्य में करीब 26 प्रतिशत आदिवासी मतदाता हैं. कुल 81 में से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. संख्या के लिहाज से आदिवासी चुनावों में किंगमेकर माने जाते हैं. 2014 के विधानसभा में कुल 81 में से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 28 विधानसभा सीटों में 13 सीटें बीजेपी को मिलीं थीं, इतनी ही सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा को मिली थी. जबकि दो सीटों पर अन्य उम्मीदवार जीते थे. पिछली बार राज्य में कुल 37 सीटें जीतकर बहुमत से चूक जाने वाली बीजेपी की बाद में झाविमो के छह विधायकों के विलय के बाद बहुमत से सरकार बनी थी. ऐसे में बीजेपी आदिवासी बेल्ट की 28 सीटों में अधिक से अधिक जीतने की कोशिश में है.
सभी पार्टियाँ राज्य की ईन 28 आदिवासी बहुल सीटों पर जीत के लिए विशेष रणनीति पर काम कर रही है. पांच महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में सामान्य सीटों की तुलना में आरक्षित पांच सीटों पर बहुत कम वोटों के अंतर से हुई जीत को ध्यान में रखते हुए बीजेपी विधानसभा चुनाव में आदिवासी समाज को रिझाने के लिए विशेष तैयारी कर रही है.
पार्टी के नेता आदिवासियों के बीच जाकर उन्हें ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि राज्य सरकार ने उनके लिए कौन कौन सी योजनायें चला रही है.गौरतलब है कि पहली बार राज्य में एक गैर-आदिवासी व्यक्ति रघुवर दास मुख्यमंत्री बने हैं.इसको लेकर आदिवासी कहीं बीजेपी के खिलाफ गोलबंद न हो जायें, बीजेपी ने आदिवासी नेताओं को आदिवासी समाज के बीच ये संदेश देने की योजना पर काम कर रही है कि रघुवर सरकार ने सबसे ज्यादा काम आदिवासी समाज के हित में किया है.प्रमुख आदिवासी नेता, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा इस अभियान को संभाल रहे हैं.
मुख्यमंत्री रघुबर दास पूर्व में अपनी जनआशीर्वाद यात्रा की शुरुआत संथाल क्षेत्र से कर आदिवासियों को रिझाने की कोशिश कर चुके हैं. आदिवासी क्षेत्रों में जाकर बीजेपी कार्यकर्ता जाकर बता रहे कि रघुबर सरकार में भूमिहीन आदिवासियों को सरकार ने वनाधिकार पट्टे देने शुरू किए, ताकि राज्य में एक भी आदिवासी भूमिहीन न रहे.और भी कई योजनाएं आदिवासियों के लिए लागू की गईं. मसलन, आदिम जनजाति समूह को मुख्यधारा में लाने के लिए परिवारों के एक विवाहित सदस्य को छह सौ रुपये पेंशन की व्यवस्था की गई. जनजातीय बटालियन का भी गठन हुआ है. 50 प्रतिशत से अधिक आदिवासी जनसंख्या वाले क्षेत्र में एकलव्य स्कूल भी खोलने पर रघुबर सरकार ध्यान दे रही है.
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