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राबड़ी देवी को विधान परिषद में नेता विपक्ष का मिला दर्जा.

RJD MLC Rabri Devi has got the status of Leader of Opposition in the Legislative Council.

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सिटी पोस्ट लाइव –  राजद एमएलसी राबड़ी देवी को विधान परिषद में नेता विपक्ष का दर्जा मिला है। 24 सीटों पर हुए एमएलसी चुनाव के बाद पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का नाम उच्च सदन बिहार विधान परिषद में नेता विपक्ष के लिए भेजा गया। परिषद ने नोटिफिकेशन जारी कर उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दे दिया। अब उन्हें कैबिनेट मंत्री स्तर का दर्जा मिलेगा।

 

विधान परिषद में सदस्यों की कुल संख्या 75 है। वहां नेता विरोधी दल बनने के लिए 10वां हिस्सा चाहिए। यानी 8 सीट चाहिए। राजद के 5 एमएलसी के दल बदल कर जदयू में चले जाने के बाद राजद के पास 5 एमएलसी बच गए थे। इसलिए नेता विरोधी दल का पद राबड़ी देवी से छिन गया था। लेकिन इस बार हुए एमएलसी चुनाव में राजद ने 6 सीटें जीती हैं और विधान परिषद में राजद के सदस्यों की संख्या 11 हो गई है।राबड़ी देवी, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की पत्नी हैं और जब लालू प्रसाद चारा घोटाला के आरोप में बुरी तरह से फंसे तब पद से इस्तीफा दे दिया और आनन-फानन में अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनवा दिया। इसी के साथ 25 जुलाई 1997 को राबड़ी देवी बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पद की कमान तीन बार संभाली है। उनके पति लालू प्रसाद चारा घोटाला में लगातार जेल में हैं, काफी अस्वस्थ भी चल रहे हैं लेकिन इस मुश्किल समय में राबड़ी देवी ने धैर्य का परिचय दिया और सफल गृहिणी के साथ, सफल अभिभावक की तरह घर- पार्टी को जोड़ कर रखा।राबड़ी देवी का जन्म 1956 में बिहार के गोपालगंज में हुआ था। उन्होंने 8 वीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा हासिल की है। इसलिए जब-तब उनके आलोचक इसका जिक्र करते रहते हैं जबकि अनुभव के मामले में वे अच्छे-अच्छे राजनेताओं को पानी पिला देती हैं।1973 में लालू प्रसाद यादव से राबड़ी देवी का विवाह हुआ। उन्हें दो लड़के और 7 लड़कियां हैं। इनमें तेजस्वी यादव बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। वे पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। दूसरे बेटे तेजप्रताप यादव हसनपुर से विधायक हैं और पूर्व मंत्री हैं। वे अपना संगठन छात्र जनशक्ति परिषद भी चलाते हैं जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उनकी बेटी मीसा भारती राज्य सभा की सदस्य हैं। वह लोकसभा का चुनाव लड़ी और हार चुकी हैं।राबड़ी देवी ने 2014 में लोकसभा चुनाव सारण से लड़ा, लेकिन हार गईं। 2005 में हुए विधानसभा चुनावों में, राबड़ी देवी वैशाली के राघोपुर क्षेत्र से जीतीं। साल 2000 में उन्हें फिर बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। उनका पहला कार्यकाल सिर्फ 2 साल (25-07-1997 से 11-02-1999) का रहा। दूसरे (09-03-1999 से 02-03-2000) और तीसरे (11-03-2000 से 06-03-2005) में उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

 

राबड़ी देवी हाल के दिनों में बजट सत्र के दौरान भी काफी चर्चा में रहीं। नीतीश सरकार के मंत्री ने जब कहा पढ़ने-लिखने से कोई मतलब नहीं रहता तो राबड़ी देवी को गुस्सा आ गया था। राबड़ी देवी, महारानी वेब सीरीज से भी काफी चर्चा में आयी थीं। उसमें राबड़ी देवी की भूमिका हुमा कुरैशी ने निभाई थी। हुमा कुरैशी का वह डायलॉग काफी पॉपुलर हुआ था जिसमें वह कहती हैं कि ‘ हमसे 50 लीटर दूध दुहा लो, 500 गोबर का गोयठा बनवा लो लेकिन एतना सारा फाइल पर हमसे दस्तखत नहीं होगा।’ राबड़ी देवी बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री हैं लेकिन अभी भी वह एक गृहिणी की तरह जीवन जीती हैं। वे स्पष्टवादी हैं और राजनीति की खूब समझ रखती हैं। हाल में मुकेश सहनी की महागठबंधन में वापसी के सवाल पर उन्होंने दो टूक कहा था कि सहनी अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं, भाजपा-जदयू ने सहनी के पीठ पर खंजर भोंका।

राबड़ी देवी ने बिहार के एक राज्यपाल को लंगड़ा कह दिया था। तब उनके इस बयान पर काफी बवाल मचा था। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और नीतीश कुमार पर दिए उनके बयान की खूब चर्चा हुई थी और मामला कोर्ट तक चला गया था। राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन कहते हैं कि राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री रहते हुए बिहार में पंचायत चुनाव करवाया और महिलाओं सहित अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों को आरक्षण दिया। 1 KM के दायरे में प्राथमिक विद्यालय पूरे बिहार में खुलवाया। राजद के प्रदेश प्रवक्ता रितु जायसवाल कहती हैं कि राबड़ी देवी के बारे में उनके विरोधियों को गलतफहमी थी कि वे एक गृहिणी हैं और बिहार नहीं चला सकतीं, लेकिन राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री का पद बखूबी संभाला। वे एक निडर महिला हैं और महिला अधिकारों के सवाल पर हमेशा मुखर रहती हैं। बजट सत्र में भी उन्होंने दिखाया कि सत्ता पक्ष का कोई नेता कुछ भी उल्टा-पुल्टा बोलकर निकल जाए ये राबड़ी देवी को मंजूर नहीं।

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