सोमनाथ
सिटीपोस्टलाईव : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और इमारत ए शरिया द्वारा रविवार को पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘दीन बचाओ देश बचाओ’ में मुस्लिम उलेमाओं ने सांप्रदायिकता के नाम पर जमकर पीएम मोदी की खिंचाई की. सबने मुसलमानों की समस्या के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया. सबसे ख़ास बात ये है कि इस कार्यक्रम के संयोजक रहे , जिन्होंने जमकर मोदी पर निशाना साधा, नीतीश कुमार की पार्टी के विधान पार्षद उम्मीदवार बन गए.बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि हमने चार साल इंतजार किया और सोचा कि बीजेपी संविधान के तहत देश चलाना सीख लेगी.लेकिन अब तो मुसलमानों के पर्सनल लॉ पर हमला किया जा रहा है. हमें अपने लोगों और देशवासियों को बताना पड़ रहा है कि देश के साथ-साथ इस्लाम पर भी खतरा है.गुर्तलब है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ देश भर में दीन बचाओ देश बचाओ कार्यक्रम लगातार कर रहे हैं. इसी कड़ी में बिहार में रविवार को बड़ा कार्यक्रम किया गया. खालिद अनवर लंबे समय से दिल्ली में रह रहे हैं, बिहार की सियासत और मुसलमानों से उनका कोई नाता नहीं था. लेकिन वली रहमानी होने के नाते उन्हें जिम्मेदारी दी गई थी. जेडीयू के कई मुस्लिम नेताओं ने पर्दे के पीछे से इस कार्यक्रम की सफलता का तानाबाना बुनने का काम किया था.बिहार में इमारत ए शरिया सबसे बड़ा मुस्लिम संगठन माना जाता है. जेडीयू के नीतीश कुमार का आरजेडी से नाता तोड़कर बीजेपी संग दोबारा जाना बिहार के मुसलमानों को हजम नहीं हो रहा है. इसी के चलते मुसलमान आरजेडी के साथ जाता दिख रहा था. यही बात जेडीयू नेताओं के लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी. ऐसे में दीन बचाओ देश बचाओ कार्यक्रम को जेडीयू ने पर्दे के पीछे से सपोर्ट करने की रणनीति बनाई. ये बात तब उस समय हकीकत साबित हुई जब कार्यक्रम के बाद ही नीतीश कुमार ने दीन बचाओ देश बचाओ के कन्वेनर खालिद अनवर को एमएलसी बनाने की घोषणा कर दी. लेकिन अब यह सवाल उठने लगा है कि मोदी की मुखालफत करनेवाले को नीतीश कुमार ने अपनी गोद में कैसे बिठा लिया ? यह कैसा गठबंधन धर्म है जिसमे अपने सहयोगी दलों के विरोधियों को ही ज्यादा तरजीह दी जा रही है.
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