सिटीपोस्टलाईव:अबतक आरजेडी का मतलब लालू यादव और लालू यादव का मतलब लालू यादव था .पार्टी में वहीं होता था जो लालू यादव चाहते थे .संगठन का कोई अहम्ले रोले नहीं होता था .लेकिन अब लालू यादव ने पार्टी की कमान पूरी तरह से अपने बेटे तेजस्वी को सौंप दी है.अब तेजस्वी अपनी पार्टी के संगठन को नए सिरे से अपने विज़न के अनुसार गढ़ना चाहते हैं.वो ऐसे होनहार अनुभवी और युवा नेताओं की नयी टीम बनाकर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुवात करना चाहते हैं.लोकसभा चुनाव के एलान के पहले ही वो संगठन के नए सिरे से गठन में जुट गए हैं. उनकी प्राथमिकता सबसे पहले अपनी पार्टी का आधार का विस्तार करना है .अपने पुराने और पिता के द्वारा आजमाए गए यादव-मुस्लिम फ़ॉर्मूले को साथ साथ वो नए लोगों को पार्टी से जोड़कर अपनी स्वीकार्यता और ज्यादा बढ़ाना चाहते हैं.वो अगदी जाति के लोगों को भी साथ लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.इसी रणनीति के तहत उन्होंने मनोज झा को राज्यसभा भेंजा है .
तेजस्वी प्रदेश टीम को भी अपने हिसाब से गढऩा चाहते हैं.तेजस्वी सोची समझी रानीति के तहत अध्यक्ष पद पर लालू प्रसाद के निर्वाचन के लंबे अंतराल के बाद भी प्रदेश कमेटी के गठन की प्रक्रिया पूरी नहीं कर रहे हैं.अपने पिता की राजनीतिक विरासत को और भी आगे बढाने के लिए तेजस्वी पार्टी को अपनी कसौटी पर परख रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष पद पर डॉ. रामचंद्र पूर्वे लगातार चौथी बार आसीन तो हो गए हैं लेकिन पार्टी में आनेवाले दिनों में प्रधान महासचिव आलोक कुमार मेहता की अहम्को भूमिका होगी. प्रवक्ताओं की सूची में भी फेरबदल करके तेजस्वी यादव ने पार्टी को नई धार देने की कोशिश कर रहे हैं . पूर्वे की टीम के कप्तान तो होंगें लेकिन टीम के सदस्य तेजस्वी के पसंद के होंगें .वैसे यह टीम लगभग तैयार हो गई है और लालू यादव की तरफ से भी इसे हरी झंडी मिल गई है. नई टीम में नौ उपाध्यक्ष, 15 महासचिव एवं 25 सचिव होंगें .इसमे पुराने लोग तो होंगें लेकिन कई नए नाम भी जुडेगें .सूत्रों की मानें तो भोला यादव की जगह अशोक यादव ले सकते हैं. एससी-एसटी एवं सवर्णों का प्रतिनिधित्व भी बढेगा . संगठन के सभी पदों पर 60 फीसद आरक्षण लागू करते हुए जिलों में दलित, अतिपिछड़े एवं अल्पसंख्यकों में से जिस जाति की अधिक संख्या होगी, वहां उसी हिसाब से संगठन के पदों में जगह दी जायेगी .
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