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मास्‍क पहनकर निश्चिन्त होना पड़ जाएगा महंगा, पहनने के बाद भी संक्रमण का खतरा

सावधान! एक रिसर्च के अनुसार मास्क पहनने के वावजूद भी कोरोना वायरस शरीर में घुस रहा है.

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सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना वायरस के कहर से बचने के लिए सबको मास्क का हमेशा इस्तेमाल की सलाह दी जा रही है.कई राज्यों में सरकारों ने इसे अनिवार्य भी कर दिया है.लेकिन मास्क को लेकर लंदन से जो रिसर्च रिपोर्टआ रही है, वह चिंता बढाने वाली है. मास्क और फेसशील्‍ड पहनने के बाद भी कोरोना के संक्रमण से बचने की कोई गारंटी नहीं है. ताजा शोध के अनुसार  मास्‍क पहनने और 3 फुट की दूरी रहने के बाद भी कोरोना वायरस शरीर में घुस जा रहा है. शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर कोई कोरोना संक्रमित व्‍यक्ति लगातार खांस रहा है तो मास्‍क पहनने का कोई मतलब नहीं रह जाता है.

साइप्रस के यूनिवर्सिटी ऑफ निकोसिया के वैज्ञानिकों के अनुसार यह खुलासा चौकाने वाला है. उन्‍होंने मास्‍क पहनने के बाद भी 6 फुट की दूरी बनाए रखने की अपील की है. वैज्ञानिकों का यह अध्‍ययन ऐसे समय पर आया है जब दुनियाभर में उद्योगों की तरफ से सरकार पर दबाव डाला जा रहा है कि वे सोशल डिस्‍टेंसिंग के नियमों में ढील दें. इस शोध के सह लेखक दिमित्रिस डिकाकिस ने कहा कि केवल मास्‍क कोरोना वायरस से संक्रमित होने से नहीं रोक सकता है. उन्‍होंने कहा कि कुछ ड्रापलेट मास्‍क शील्‍ड के अंदर घुस जाने में सक्षम हो जाते हैं. इतना ही नहीं कोरोना पीड़ित मरीज के ड्रापलेट 4 फुट तक जा सकते हैं. हालांकि इनमें से ज्‍यादातर एक मीटर यानि 3 फुट तक ही जाते हैं.

गौरतलब है कि फेस मास्‍क के बारे में माना जाता है कि यह महामारी के प्रसार को धीमा कर देता है. लेकिन इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि यह किस तरह से काम करता है और किस तरह से नहीं करता है. शोध में पता चला है कि मास्‍क हवा में पाए जाने वाले कोरोना वायरस के ड्रापलेट के संक्रमण को कम कर देता है लेकिन पूरी तरह से उसका खात्‍मा नहीं करता है. हालांकि बिना मास्‍क के ड्रापलेट करीब 6 फुट की दूरी तक चला जाता है. इसलिए मास्‍क कोरोना के खतरे को कम करने में मददगार है ना की उससे बचाने में पूरी तरह कारगर है.

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