कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन का हो रहा है परीक्षण
सिटी पोस्ट लाइव : जिस कोरोना वायरस से पूरा विश्व दहला हुआ है,उससे निजात पाने की कोशिश अब पुरजोर शुरू हो चुकी है ।चीन से निकले कोरोना वायरस का असर अब चीन से ज्यादा इटली में फैल गया है ।हांलांकि भारत भी इससे अछूता नहीं है ।लेकिन भारत में अगर सही तरीके से जागरूकता और साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाए,तो यह वायरस,महीने भर के भीतर भारत से खत्म हो जाएगा ।भारत के प्रधानमंत्री और विभिन्य प्रदेशों की सरकारें,इस खतरनाक वायरस से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं ।इसी कड़ी में,अमेरिका के सिएटल में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए नई वैक्सीन का परीक्षण हो रहा है। जिन पर परीक्षण होना है उनके हौसले बुलंद हैं। उनका कहना है कि लोगों की मदद के लिए उन्होंने ये रास्ता चुना है। इस मोड़ पर हम अपनी जिंदगी हाथ धोकर और वर्क फ्रॉम होम की बजाए इस वायरस से लड़कर बिताना चाहते हैं। जिन तीन लोगों को इंजेक्शन दिया गया उनका कहना है एक सामान्य फ्लू वैक्सीन जितना ही उन्हें दर्द हुआ। इनमें से कुछ लोगों को ज्यादा सख्त डोज दिया जाएगा ताकि देखा जा सके कि डोज की अधिकतम सीमा क्या हो सकती है। इनपर साइड इफेक्ट का असर भी देखा जाएगा। ये भी देखा जाएगा कि इनकी प्रतिरोधक क्षमता कितनी है। इन वालंटियर्स का कहना है कि उनकी मंशा खुद को बचाने की नहीं है। इनका कहना है कि हमारी भूमिका इस मायने में छोटी है कि 18 महीने तक चलने वाली ये कोशिश कामयाब हो और पूरी दुनिया को इसका लाभ मिले। ये वालंटियर टेक इंडस्ट्री और स्वास्थ्य रिसर्च में काम करते हैं। इनमें से दो वालंटियर के बच्चे हैं और सभी घर पर रहकर ही काम कर रहे हैं।
जेनिफर के दो बच्चे
इनमें से एक हैं जेनिफर हॉलर जिनके दो बच्चे हैं। पहला इंजेक्शन उन्हें ही लगा है। वैक्सीन के परीक्षण का पहला इंजेक्शन लगवाने के बाद जेनिफर ने बेहद खुशी जताते हुए कहा कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। इनमें से एक हैं छोटी टेक कंपनी में कार्यरत 43 साल के ऑपरेशन मैनेजर, माइक्रोसॉफ्ट में काम करने वाले 46 साल के नेटवर्क इंजीनियर और यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के ग्लोबल हेल्थ रिसर्च सेंटर में काम करने वाले 25 साल के एडिटोरियल कोऑर्डिनेटर। 43 साल की जेनिफर हॉलर रोज सुबह अपने 16 साल के बेटे और 13 साल की बेटी को सेब काटकर खिलाती हैं। अब उनके बच्चे खुद से ही खाना बनाकर खाते हैं। उनके स्कूल जाने से पहले ही जेनिफर काम पर लग जाती हैं। अमेरिका की जेनिफ़र हेलर दुनिया की पहली महिला बनीं जिन पर कोरोनावाइरस की वैक्सीन का टेस्ट किया गया।किसी भी वैक्सीन के टेस्ट के लिए पहले किसी स्वस्थ व्यक्ति को उस बीमारी से इन्फ़ेक्ट किया जाता है और फिर उस पर वैक्सीन का रेस्पॉन्स देखा जाता है।
जेनिफ़र और उनके साथ 44 लोग वालंटियर्ली यानि स्वेच्छा से सामने आए ताकि मानव जाति पर आए इस संकट से उन्हें बचाया जा सके। जेनिफ़र के दो बच्चे हैं, फिर भी वो सामने आयीं, इस पूरी प्रक्रिया में वैक्सीन के असफल होने की स्थिति में उनकी जान को ख़तरा हो सकता है। दुनिया में बहुत कुछ बहुत बुरा हो रहा है तो बहुत कुछ बहुत अच्छा भी हो रहा है। और यही अच्छे लोग और उनके अच्छे प्रयासों के चलते ये दुनिया आज भी ख़ूबसूरत है और तभी हम सभी लाख दिक्कतों के बाद भी इस दुनिया में रहना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि इनके प्रयास ज़रूर सफल होंगे लेकिन तब तक हमें प्रयास करने होंगे कि इन्हें इनके प्रयास बेकार न लगें, इस दुनिया को इतने प्रयासों से बचाए जाने के लायक बनाए रखना भी हमारी ज़िम्मेदारी है।
रौशन झा की विशेष रिपोर्ट
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