स्क्रीनिंग के गलत तरीके की वजह से देश में फैला Corona का संक्रमण
सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना वायरस (Coronavirus) के भारत में दस्तक दे देने के बाद एयरपोर्ट्स और रेलवे स्टेशनों पर (Patna Airport) पर विदेशों से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग की जो व्यवस्था की गई थी, वहीँ अवैज्ञानिक थी. स्क्रीनिंग के नाम पर यात्रियों का लेजर मशीन से टेम्प्रेचर (तापमान) लिया जा रहा था. ये सबको पता है कि कोरोना से पीड़ित व्यक्ति पर कोरोना का असर कुछ दिनों बाद सामने आता है. जाहिर है टेम्परेचर जांच के बाद लोगों को घर जाने की दी गई छुट ही कोरोना के संक्रमण का सबसे बड़ा कारण बन गया.
संकमरण के सैंपल लेने और उन्हें आइसोलेट (Isolate) करने में प्रशासन से बड़ी चूक का खामियाजा आज पूरा देश भुगत रहा है. विदेशों से आए लोगों का एयरपोर्ट पर सैंपल लेने के बाद राजधानी में ही उन्हें आइसोलेट कर दिया जाता तो यह यह नौबत नहीं आती. कोरोना का चेन यहीं टूट जाता. हालांकि बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार का दावा है कि विदेशों से और दूसरे राज्यों से बिहार आए सभी लोगों की जिस तरह से जांच की जानी चाहिए, की गई. उसमें कोई कोताही नहीं बरती गई है.
पटना एयरपोर्ट पर विदेश से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग करने के लिए डॉक्टरों की टीम 3 मार्च से तैनात थी पर 15 मार्च तक केवल 27 लोगो की ही स्कैनिंग की जा सकी. कोरोना ने जब देश में तेजी से पांव पसारना शुरू कर दिया तब बिहार सरकार द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता मे गठित क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की नींद खुली. 15 मार्च को प्रशासनिक और स्वास्थ्य की टीम पटना एयरपोर्ट पर गई.
एयरपोर्ट से लेकर एयरलाइंस अधिकारियों के साथ बैठक कर फैसला लिया कि 16 मार्च से जो भी लोग विदेश से पटना आएंगे उन सबों की स्कैनिंग की जाएगी. इसके साथ ही उन्हें क्वारंटाइन पर रहने को कहा जाएगा. इसी वजह से 16 मार्च से लॉकडाउन लागू होने तक यानी 24 मार्च की रात बारह बजे तक करीब 1100 लोगों की स्कैनिंग हुई, लेकिन किसी का सैंपल नहीं लिया गया. हाल के दिनों में स्वास्थ्य विभाग ने भी यह फैसला लिया कि जो भी विदेश से आए हैं, उन सभी का सैंपल लिया जाएगा.
पटना एयरपोर्ट उतरने के बाद सभी के सैंपल ले लिए जाते और उन्हें रिपोर्ट आने तक पटना में ही रोक लिया जाता तो संभव है कि पॉजिटिव केस की संख्या में बढ़ोतरी नहीं दर्ज की जाती है. वहीं यह भी सही है कि इस वायरस के लक्षण 5 वें दिन से 14 दिन में प्रकट होते हैं. बिहार में पॉजिटिव मामले 22 मार्च से मिलने शुरू हुए और वह इस बात पर मुहर लगाते हैं कि बाहर से राज्य में आए लोगों के सैंपल नहीं लिए गए और संदिग्ध लोगों को आइसोलेशन पर नहीं रखा गया.
बिहार में 22 मार्च से 2 अप्रैल तक 31 पॉजिटिव मामले आए हैं. इनमें से पटना सिटी के युवक को छोड़कर सभी मरीजों की ट्रेवल हिस्ट्री विदेश की है. पटना सिटी का युवक गुजरात से आया था. वह ठीक हो चुका है.मुंगेर के सैफ अली के चेन को ही देख लें तो वह कतर से दिल्ली होते हुए पटना एयरपोर्ट पर उतरा और 12 मार्च को घर पहुंचा. आने के तीन-चार बाद से वह मुंगेर के एक अस्पताल में भर्ती हुआ. फिर 21 मार्च को उसकी पटना के एम्स में मौत हो गई. अगले दिन 22 मार्च को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई. इस युवक ने अपने संपर्क में आए 13 लोगों को संक्रमण दिया और उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.
फुलवारीशरीफ का युवक राहुल स्कॉटलैंड में रहता था. वह स्कॉटलैंड से 19 मार्च को पटना एयरपोर्ट पहुंचा. 20 मार्च को वह एम्स गया. इसके बाद 21 मार्च को फिर उसे एनएमसीएच ले जाया गया. उसके दो दिन बाद उसकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई. इसका चेन खत्म हो गया पर गांव के तीन किलोमीटर तक डब्लूएचओ को काफी मशक्कत करनी पड़ी.गया की महिला दुबई से 22 मार्च को पटना होते हुए पति के साथ घर पहुंची. वह भी दुबई से ही ही से काेरोना से संक्रमित होकर पहुंची. जब उसका सैंपल गया में लिया गया तो वह पॉजिटिव निकला.
24 मार्च तक पटना एयरपोर्ट आने वालों का पॉजिटिव केस में अभी और बढ़ोतरी होने की संभावना जताई जा रही है. 24 मार्च की रात बारह बजे से विमान के परिचालन पर रोक लगा दी थी. 24 तक विदेश से आए लोगों का सैंपल टेस्ट का रिजल्ट अप्रैल के पहले सप्ताह तक आने की संभावना है.
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