सिटी पोस्ट लाइव : बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने चमकी बुखार पर काबू पा लेने का दावा किया है.गौरतलब है कि हर साल चमकी बुखार से बिहार में सैकड़ों बच्चों की जान चली जाती थी.लेकिन इस साल चमकी बुखार महामारी का रूप नहीं ले पाया. पिछले वर्ष प्रदेश भर में 150 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी. इनमें सबसे अधिक मुजफ्फरपुर जिले के बच्चे प्रभावित हुए थे और यहां करीब 95 बच्चों की मौत हुई थी. इसके बाद से ही राज्य सरकार ने कई कदम उठाए थे. इसी के तहत मुजफ्फपुर में 72 करोड़ की लागत से बना देश का पहला एक सौ बेड के शिशु गहन चिकित्सा यूनिट (Pediatric intensive care unit) और 60 बेड का इंसेफ्लाइटिस वार्ड बनाया गया.
अब बिहार सरकार ने चमकी बुखार यानी Acute Encephalitis Syndrome को लेकर बड़ा दावा किया है. सरकार के मुताबिक व्यापक तैयारी और जन जागरूकता के जरिए बच्चों की जानलेवा बीमारी चमकी बुखार (AES) पर नियंत्रण पाने में इस साल बड़ी कामयाबी मिली है. पिछले वर्ष 30 जून तक जहां 164 बच्चों की मृत्यु इस बीमारी से से हुई थी. इस साल अब तक केवल 12 बच्चे इसके शिकार हुए हैं. मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में पिछले साल इसी अवधि में 653 बच्चे इलाज के लिए भर्ती हुए थे जबकि इस साल यह संख्या 95 तक सीमित है.
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के मुताबिक चमकी बुखार से पिछले साल हुई बच्चों की मौत के बाद रिकार्ड समय में एसकेएमसीएच में 72 करोड़ की लागत से विश्वस्तरीय 100 बेड के पिकू वार्ड (PICU WARD) का निर्माण किया गया, जिससे इस साल बच्चों को त्वरित इलाज में काफी सुविधा मिली है. इसके साथ ही उत्तर बिहार के चमकी बुखार प्रभावित 11 जिलों में 406 एम्बुलेंस की प्रतिनियुक्ति की गई ताकि जरूरत पड़ने पर बिना समय गंवाए मुफ्त में बच्चों को अस्पताल तक पहुंचाया जा सके.
सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के बाद चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर के सर्वाधिक प्रभावित पांच प्रंखडों मुसहरी, मीनापुर, मोतीपुर,कांटी और बोचहा के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर डाॅक्टर की तैनाती, पर्याप्त दवा व उपकरण आदि की व्यवस्था के साथ ही प्रत्येक परिवार को राशनकार्ड, नए आंगनबाड़ी केन्द्र और बच्चों के स्कूल में नामांकन आदि का अभियान चलाया गया.
सुशील मोदी ने कहा कि इसके अलावा मुजफ्फरपुर के चमकी बुखार प्रभावित सभी प्रखंडों में जन जागरूकता के लिए एक-एक अधिकारी को तैनात किया गया. आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ओर घर-घर जाकर लोगों को सफाई और रात में बच्चों को भरपेट खाना खिला कर सुलाने के लिए जागरूक किया गया. इन सारे प्रयासों का सम्मिलित नतीजा रहा कि इस साल जानलेवा चमकी बुखार पर नियंत्रण पाने में काफी हद तक सफलता मिली है.
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