जानिए मुकेश सहनी की राजनीतिक हैसियत, महागठबंधन ने क्यों दी तीन सीटें?
सिटी पोस्ट लाइव : बात साल 2015 की है जब मुकेश सहनी एनडीए के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे.. तो उस वक्त उन्होंने नारा दिया था ‘आगे बड़ी लड़ाई है, एनडीए में भलाई है’. आजकल मुकेश सहनी का नया नारा है, ‘माछ भात खाएंगे, महागठबंधन को जिताएंगे’. लेकिन ये नारे क्यों बदलें और क्यों मुकेश सहनी की हैसियत राजनीति में इतनी जल्दी बढ़ गई. बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन की सीटों का बंटवारा जब तय हुआ तो पता चला कि मुकेश सहनी के बिलकुल नए राजनीतिक दल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चुनाव लड़ने के लिए तीन लोकसभा सीटें मिली हैं. इस नई-नवेली पार्टी को महागठबंधन में तीन सीटें मिलना कई लोगों को हैरान कर दिया.
अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या है मुकेश सहनी और उनकी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) में जिसने लालू यादव की आरजेडी और केंद्र की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को तीन लोकसभा सीटें छोड़ने पर बाध्य कर दिया? दरअसल, मुकेश सहनी बिहार के मल्लाह समाज से हैं. इसलिए उन्हें बिहार में ‘सन आफ मल्लाह’ के नाम से भी जाना जाता है. बिहार के कुछ जिलों में मल्लाह समाज के लोग ऐसी संख्या में हैं कि वे जीत और हार तय करते हैं. ऐसी सीटों की संख्या दस के आसपास है. माना जा रहा है कि निषाद समाज के लोगों में मुकेश सहनी ने अपनी गहरी पैठ बना ली है.
लंबे समय तक फिल्म जगत में सेट डिजाइनर के तौर पर काम करने वाले मुकेश सहनी ने वीआईपी का गठन पिछले साल नवंबर में किया था. जिस तरह एक दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘चाय पर चर्चा’ चुनाव अभियान बेहद लोकप्रिय हुआ था, उसी तरह से मुकेश सहनी ने बिहार में ‘माछ पर चर्चा’ अभियान चलाया और यहां इसने भी खूब सुर्खियां बटोरीं. इससे उन्हें मल्लाह समाज तक अपनी पैठ बनाने में, इस समाज के मुद्दों को समझने में और निषाद समुदाय के लोगों का खुद में विश्वास पैदा करने में काफी मदद मिली.
दिलचस्प बात है कि भले ही सहनी ने पार्टी पिछले साल बनाई हो, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने उन्हें 2015 के विधानसभा चुनावों में स्टार प्रचारक के तौर पर इस्तेमाल किया था. भाजपा ने निषाद समाज का वोट अपने पाले में लाने में सहनी का उपयोग करने के मकसद से उनके लिए विशेष हेलीकाॅप्टर का इंतजाम भी किया था. मुकेश सहनी को मल्लाहों के नेता के तौर पर पेश करने में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की भी बड़ी भूमिका रही. अमित शाह अपने हेलीकाॅप्टर से सहनी को कई सभाओं में खुद लेकर जाते थे और संयुक्त तौर पर सभाओं को संबोधित करते थे. इससे एक माहौल बना कि जो व्यक्ति अमित शाह के इतनी करीब है, उसकी कोई राजनीतिक हैसियत तो जरूर होगी.
एक और खास बात ये है कि विधानसभा चुनावों के पहले सहनी नीतीश कुमार का समर्थन कर रहे थे, लेकिन बाद में एनडीए ने उन्हें अपने साथ जोड़ लिया. लेकिन एनडीए में नीतीश की वापसी के बाद वहां सहनी का राजनीतिक समझौता नहीं हो पाया और वे महागठबंधन के पाले में आ गए. इस लोकसभा चुनाव में जिन तीन सीटों पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है, उन पर अगर उसे अच्छी सफलता मिल जाती है तो फिर वे मल्लाह समाज के नेता के तौर पर बिहार की राजनीति में स्थापित हो जाएंगे.
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