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“चुनावी विश्लेषण” : पर्दे के पीछे का सच, बिहार में एनडीए धीरे-धीरे हो रहा है बेहद मजबूत

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“चुनावी विश्लेषण” : पर्दे के पीछे का सच, बिहार में एनडीए धीरे-धीरे हो रहा है बेहद मजबूत

सिटी पोस्ट लाइव  : देश में अभी मोदी लहर और सुनामी जैसी कोई बात नहीं दिख रही है। लेकिन बिहार में टिकट की सौदेबाजी और महागठबन्धन में राजद की भूमिका ने एनडीए की राह बेहद आसान बना दी है। नतीजतन बिहार के सभी 40 लोकसभा सीटों पर एनडीए की स्थिति धीरे-धीरे मजबूत होती दिख रही है। हमने जो अभीतक पड़ताल की है,उसके मुताबिक सभी फेज के चुनाव सम्पन्न होते-होते एनडीए 40 में से 30 से 36 सीटों पर जीत हासि करता नजर आ है। वैसे राजनीतिक समीक्षकों के द्वारा लगातार यह दावे किए जाते रहे हैं कि राजनीति में कुछ भी सम्भव है। पल में जीती बाजी पलट सकती है ।लेकिन जब पलड़ा बेहद भारी हो जाये,तो ऐसी संभावनाएं बेमानी साबित हो जाती हैं। बिहार के महाराजगंज में भूमिहार मतदाता मुख्य भूमिका निभाएंगे ।यहाँ से बीजेपी के सीटिंग सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल उम्मीदवार हैं। इस बार के चुनाव में वे, शुरुआती दौर में पिछड़ते नजर आ रहे थे लेकिन अब उनकी स्थिति बेहद मजबूत हो गयी है। सारण सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार राजीव प्रताप रुढ़ी की राह,लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव आसान कर रहे हैं। यहाँ से राजद ने लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय को महागठबन्धन का उम्मीदवार बनाया है।

तेजप्रताप यादव का अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय से गहरा विवाद है जिस कारण से तेजप्रताप ने तलाक के लिए अदालत में अर्जी दायर कर रखी है ।वे अपने श्वसुर को हराने की कसम खाये बैठे हैं और खुद निर्दलीय उन्हें चुनौती देने के लिए सारण से नामांकन करने वाले हैं ।वैसे राजीव प्रताप रुढ़ी का अपना जनाधार है लेकिन राजद का यह अंतर्कलह उनके लिए बेहद मुफीद साबित हो रहा है ।दरभंगा से बीजेपी के उम्मीदवार गोपाल जी ठाकुर,राजद के अब्दुल बारी सिद्दकी से काफी मजबूत दिख रहे हैं ।इस सीट से बीजेपी के सीटिंग सांसद कीर्ति झा आजाद कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन राजद ने उन्हें दरभंगा से धकेलकर बेतिया पहुँचा दिया ।भागलपुर से राजद के सिटिंग सांसद बुलो मंडल की स्थिति पहले बहुत मजबूत दिख रही थी लेकिन अभी उनकी स्थिति थोड़ी कमजोर प्रतीत होने लगी है ।

बांका से निर्दलीय पुतुल कुमारी,एनडीए और महागठबन्धन की नींद उड़ाए हुई हैं ।पुतुल कुमारी 2014 के चुनाव में बीजेपी से उम्मीदवार थीं लेकिन इसबार बीजेपी ने उन्हें मौका नहीं दिया ।नतीजतन वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरी हुई हैं ।बांका की तस्वीर अभी उलझी हुई है ।जमुई से लोजपा के चिराग पासवान काफी मजबूत स्थिति में हैं ।मिथिलांचल की बात करें,तो यहाँ एनडीए काफी मजबूत स्थिति में है और लगातार उसकी मजबूती में इजाफा ही हो रहा है ।शिवहर सीट पर अभीतक संसय बरकरार है ।बीजेपी ने यहाँ से सीटिंग सांसद रमा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है ।इस सीट से बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहती हैं ।लेकिन यह सीट राजद ने अपने खाते में ले लिया है ।लेकिन लवली आनंद की पुरजोर कोशिश की वजह से कांग्रेस के भीतर कशमकश जारी है ।

यही वजह है कि राजद ने 40 सीटों में से एकमात्र सीट शिवहर पर अपने उम्मीदवार की अभीतक घोषणा नहीं की है ।कोसी की दो संसदीय सीटें सुपौल और मधेपुरा में इस बार का लोकसभा चुनाव एनडीए के साथ-साथ महागठबन्धन के लिए कई तरह की चुनौतियों से भरा हुआ है ।चुनावी दंगल में भाग्य आजमा रहे कई दिग्गजों के लिए यह चुनाव मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की लड़ाई साबित होगी ।यही नहीं,इस चुनाव में,पर्दे के पीछे महत्वपूर्ण रोल अदा करने वाले अन्य कई राजनीतिक दिग्गजों की भी अग्नि परीक्षा होने वाली है ।यह चुनाव सीटिंग सांसद दंपति पप्पू यादव और रंजीता रंजन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है ।राजनीतिक जानकारों की मानें,तो इस बार का चुनाव सांसद दंपति के अलावा मधेपुरा लोकसभा सीट से महागठबंधन के उम्मीदवार शरद यादव के राजनीतिक सफर की दशा और दिशा भी तय करने वाली साबित होगी ।

मिथिलांचल की सभी 9 सीटों पर एनडीए की जीत सुनिश्चित

सात अप्रैल के बाद बिहार सहित पूरे देश में मोदी लहर की जगह मोदी सुनामी आने के कयास लगाए जा रहे हैं ।अभी के हमारे ताजा सर्वे के अनुसार मिथिलांचल की सभी 9 सीटों पर एनडीए ना केवल मजबूत स्थिति में है बल्कि अब जीत सुनिश्चित दिख रही है ।मिथिलांचल की दरभंगा सीट से बीजेपी के गोपाल जी ठाकुर,झंझारपुर से जदयू के राम प्रीत मंडल,सीतामढ़ी से जदयू के डॉक्टर वरुण कुमार उजियारपुर से बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय, मधुबनी से बीजेपी के अशोक कुमार,बेगुसराय से बीजेपी के गिरिराज सिंह,खगड़िया से लोजपा के महबूब अली कैसर,मधेपुरा से जदयू के दिनेश चंद्र यादव और सुपौल से जदयू के दिलेश्वर कामत की जीत लगभग तय मानी जा रही है ।इन नौ सीटों में सबसे हॉट सीट मधेपुरा से जदयू के दिनेश चन्द्र यादव,जाप सुप्रीमों पप्पू यादव को हराते दिख रहे हैं ।

यहाँ से प्रखर समाजवादी नेता शरद यादव के तीसरे नम्बर पर रहने की तस्वीर उभर रही है ।दूसरी हॉट सीट सुपौल की सीटिंग कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन को जदयू के दिलेश्वर कामत बड़े अंतर से पटखनी देते दिख रहे हैं ।रंजीता रंजन यहाँ राजद के विरोध करने का दंश झेलती प्रतीत हो रही हैं ।तीसरी हॉट सीट बेगुसराय से बीजेपी के गिरिराज सिंह सीपीआई से खड़े विवादित युवा चेहरा कन्हैया कुमार को भारी अंतर से परास्त करते दिख रहे हैं ।चौथी हॉट सीट खगड़िया से लोजपा के महबूब अली कैसर,भीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी को आसानी से पटखनी देते दिख रहे हैं ।यानि मिथिलांचल में महागठबन्धन का सूपड़ा पूरी तरह से साफ होने की संभावना प्रबल है ।लाख चुनावी दौरे,भाषणबाजी और विधवा प्रलाप से महागठबन्धन को कोई भी लाभ मिलने की गुंजाईश नहीं बन रही है ।वैसे चुनाव सात चरणों में सम्पन्न होना है और परिणाम के लिए 23 मई तक इंतजार करना ही होगा ।

मधेपुरा में कांटों भरी राह है ।

महागठबंधन से राजद के टिकट पर मधेपुरा संसदीय सीट से प्रत्याशी बने शरद यादव की राह बेहद कठिन है ।पिछले लगभग तीन दशक से कोसी के दिग्गज नेता के रूप में माने जाने वाले शरद यादव,यहाँ से चार बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं ।सबसे खास बात यह है कि अब तक अधिकांश बार राजद के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले शरद यादव इस बार राजद के चुनाव चिन्ह् पर ही अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतरे हैं ।हांलांकि शरद यादव के पक्ष में सबसे मजबूत पहलू यह है कि मधेपुरा में राजद के समर्पित कार्यकर्ता एकजुट होकर उनके साथ हैं ।मधेपुरा में एनडीए से जदयू के उम्मीदवार और वर्तमान में सूबे के आपदा मंत्री दिनेश चन्द्र यादव चुनावी दंगल में हैं ।कभी शरद यादव के सबसे करीबी माने वाले दिनेश चन्द्र यादव भी पहले सांसद रह चुके हैं ।हालांकि उनका कार्यस्थल अभी तक सहरसा और खगड़िया में ही रहा है ।लेकिन परिसीमन के बाद सहरसा की जगह मधेपुरा लोकसभा बन जाने के बाद भी, मधेपुरा में उनकी जबरदस्त पकड़ है ।गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में अलग-अलग चुनाव लड़ने वाली जदयू और भाजपा इस बार एकजुट है और वोटों का गणित उनके पलड़े को काफी भारी कर रहा है ।मधेपुरा सीट पर दिनेश चन्द्र यादव की स्थिति धीरे-धीरे काफी मजबूत होती जा रही है और उनकी जीत लोग पहले से ही तय मान रहे हैं ।

इधर शरद यादव ने एक निजी खबरिया चैनल से बात करते हुए कहा है कि JDU के BJP के साथ सरकार बनाने के 6 महीने बाद,फिर से नीतीश कुमार ने लालू यादव के पास सरकार बनाने के लिए संपर्क किया था । नीतीश कुमार ने एक नहीं बल्कि कई लोगों से लालू यादव को इस बारे में कहलवाया था ।लेकिन लालू प्रसाद यादव ने सकारात्मक पहल नहीं की ।राजनीतिक हलकों में इस बयान से थोड़ी हलचल जरूर पैदा की है लेकिन इसका कहीं से भी कोई फायदा ना तो शरद यादव और ना ही महागठबन्धन को मिलता दिख रहा है ।पप्पू यादव 2014 में राजद के टिकट पर मधेपरा से लोकसभा का चुनाव जीते थे लेकिन बाद में वे राजद से अलग हो गये ।वैसे तो मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में हर वर्ग में उनके समर्थक हैं लेकिन समर्थकों को वोट में तब्दील करना उनके लिए मिल का पत्थर साबित होगा ।इतना तो,तय है कि पप्पू यादव मधेपुरा चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में अभीतक जरूर सफल साबित हो रहे हैं ।सुपौल लोकसभा सीट पर महागठबंधन और एनडीए के बीच सीधी टक्कर है ।यहां से महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्यासी सीटिंग कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं ।

कोसी इलाके में वह पहली महिला नेत्री रही हैं जो दो बार लोकसभा पहुंच चुकी हैं । सुपौल लोकसभा सीट से एनडीए उम्मीदवार जदयू के दिलेश्वर कामत पहले विधायक रह चुके हैं और इनकी छवि सहज और सरल है ।2014 के लोकसभा चुनाव में वे जदयू के उम्मीदवार थे और चुनाव में वह दूसरे नम्बर पर रहे थे ।कोसी के इस चुनावी दंगल में उतरे प्रत्यासियों से ईतर कोसी के विश्वकर्मा माने जाने वाले सूबे के ऊर्जा,मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव पर भी लोगों की नजरें टिकी हुई हैं ।1990 से वे लगातार सुपौल के विधायक रहे हैं ।यही नहीं वे बिहार सरकार में लगातार मंत्री भी रहे हैं ।बिजेंद्र प्रसाद यादव को लोगों ने लोकसभा चुनाव लड़ने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया ।यह जाहिर है कि अब तक उन्होंने किंगमेकर की भूमिका ही निभायी है ।हालांकि कभी शरद यादव के काफी करीबी रहे और उनके हर चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव इस बार उनके प्रतिद्वन्दी खेमे में हैं ।मधेपुरा संसदीय क्षेत्र के कई प्रमुख इलाके के अलावे समूचे सुपौल इलाके में बिजेंद्र प्रसाद यादव की अपनी एक अलग छवि और पकड़ है । कोसी में बिजेंद्र प्रसाद यादव एनडीए के लिए संजीवनी हैं ।सुपौल में राजद खेमा रंजीता रंजन का विरोध कर रहा है ।एक यादव प्रत्यासी को भी क्षेत्रीय राजद नेताओं ने रंजीता रंजन के खिलाफ चुनावी समर में उतार दिया है ।ऐसे में रंजीता रंजन की राह भी बेहद कठिन दिख रही है ।

इन तमाम आकलन के बीच जेल में बन्द पूर्व सांसद आनंद मोहन ने अपना पत्ता अभीतक नहीं खोला है ।वैसे बीते 31 मार्च को सहरसा में आनंद मोहन समर्थकों का जमावड़ा लगा था,जहां यह तय किया गया था कि जो आनंद मोहन की रिहाई की बात करेगा, आनंद मोहन समर्थक,उसी दल के साथ जाएंगे ।जदयू भीतरखाने से हमें यह जानकारी भी मिली है कि नीतीश कुमार के कहने पर जदयू के बड़े नेताओं ने आनंद मोहन से संपर्क साधा है और चुनाव बाद रिहाई की बात कही है ।पूर्व सांसद आनंद मोहन लगभग 13 साल से सहरसा जेल में बन्द हैं ।उनकी सजा लगभग पूरी हो चुकी है ।राज्य सरकार जब चाहेगी,तब उनकी रिहाई हो जाएगी ।लेकिन आनंद मोहन की तरफ से अभीतक कोई बयान नहीं आने से,आनंद मोहन समर्थक उहापोह की स्थिति में है ।बिहार में चुनाव पहले चरण में भी होने हैं ।इस समय आनंद मोहन को अब अपनी चुप्पी तोड़कर,अपने समर्थकों को सीधा निर्देश देना चाहिए कि उन्हें क्या करना चाहिए ?अब हो रही देरी आनंद मोहन और उनके समर्थकों की सेहत के लिए सही साबित नहीं होगी ।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह का  “विशेष चुनावी विश्लेषण”

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