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विशेष : राजनेताओं की जुबानों पर जड़ने होंगे कानूनी ताले, देश का कर रहे हैं भारी नुकसान!

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विशेष : राजनेताओं की जुबानों पर जड़ने होंगे कानूनी ताले, देश का कर रहे हैं भारी नुकसान!

सिटी पोस्ट लाइव : देश अभी कई तरह के वाद में उलझकर,संक्रमणकाल से गुजर रहा है। घर से लेकर मुहल्ला, जिला, प्रमंडल, राज्य और देश की ईमानदार चिंता करने के लिए कोई भी तैयार नहीं है। खासकर के जब चुनाव का मौसम होता है, उस समय समाज के भीतर द्वंद, घृणा, द्वेष, रंज और आक्रोश का माहौल तैयार हो जाता है। सामाजिक समरसता,सहिष्णुता, सहकार, सहयोग, प्रेम और मिल्लत को घुन्न से लगने लग जाते हैं। इसके लिए मूल रूप से सभी प्रांतों के कुछ उन्मादी नेता और देश के कुछ शीर्षस्थ नेता जिम्मेवार हैं। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर ये नेतागण अपनी पार्टी और खुद के एकल फायदे के लिए ऐसी बयानबाजी करते हैं जिससे देश और समाज को भारी नुकसान पहुँचता है। आजादी के सात दशक बाद भी हमारा समाज आज जातिवाद और धर्मवाद के शिकंजे से नहीं निकल सका है ।नेताओं के द्वारा वोटगिरी के चक्कर में ऐसे जाल बुने जाते हैं जिसमें आम आदमी फँसकर,वही करता रहता है,जो नेताओं की मंसा होती है। आज लोग चांद पर पहुंच गए लेकिन हमारा समाज धर्म और जाति के लिहाफ से नहीं निकल पाया है ।हम यहाँ साफ लहजे में अपने पाठकों को यह बताना चाहते हैं कि किसी नेता की जुबान फिसलती नहीं है बल्कि उनके बयान उनकी रणनीति के साझीदार होते हैं ।अभी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बयान को लेकर पूरे देश में भूचाल आया हुआ है ।

मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मुंबई हमले में शहीद हुए हेमंत करकरे को लेकर बेहद विवादित और शर्मनाक बयान दिया है ।मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि हेमंत करकरे ने उन्हें मालेगांव ब्लास्ट मामले में गलत तरीके से फंसाया था ।उन्होंने अपने बेहद आपत्तिजनक बयान में कहा है कि हेमंत करकरे अपने कर्मों और उनके श्राप की वजह से मरे हैं ।अमर शहीद के सम्मान में गुस्ताखी कभी भी बर्दास्त नहीं किया जाएगा ।लेकिन साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने ऐसा विवादित बयान क्यों दिया,इसे भी समझना जरूरी है ।प्रज्ञा की जेल यात्रा के दौरान उन्हें जो पीड़ादायक यातना दी गयी,इस सच को उकेरना भी जरूरी है ।अगर प्रज्ञा दोषी थी,तो फिर उन्हें आरोपमुक्त क्यों किया गया ?और जब निर्दोष थी,तो इतने दिनों तक जेल में रखकर,उन्हें यातना क्यों दी गयी ?प्रज्ञा का यह बयान बिल्कुल उनकी पीड़ा का जिंदा इश्तेहार है ।इस बयान को ज्यादा तवज्जो देकर देश को भ्रमित करने की कोशिश,कुछ पार्टियों,कुछ नेताओं की गहरी चाल और चुनावी हथकंडा है,जिसे हम कहीं से भी जायज नहीं ठहरा सकते हैं ।प्रज्ञा को अपने बयान को लेकर माफी मांगनी चाहिए,या फिर अपने भीतर के सारे गुबार और मलाल को देश के सामने रखना चाहिए ।लेकिन इस विवाद के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने फिर से एक विवादित बयान दिया है ।उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद को उनलोगों ने ही तोड़ा था और बहुत जल्द राम मंदिर वहीं बनाएंगे ।इस बयान पर चुनाव आयोग ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से जबाब मांगा है ।गलत बयानबाजी को लेकर चुनाव आयोग यूपी सीएम योगी पर 24 घण्टे और सपा नेता आजम खान पर 72 घण्टे तक चुनाव प्रचार नहीं करने का बैन लगा चुका है ।

कश्मीरी नेता उमर अब्दुल्ला ने साध्वी प्रज्ञा को आतंवादी बताते हुए कहा कि ऐसे लोग देश के लिए खतरा हैं ।महबूबा मुफ्ती सईद,और फारुख अब्दुल्ला के कश्मीर को लेकर यह बयान की कश्मीर एक अलग देश बनेगा,पर देश की सारी राजनीतिक पार्टियों ने चुप्पी साध ली ।फारुख अब्दुल्ला के इस बयान पर,उनपर कठोर कानूनी कारवाई की जानी चाहिए ।देश को किसी भी तरह के नुकसान पहुंचाने वाले बयान को बर्दाश्त किया जाना जायज नहीं है ।मर्यादा से बाहर निकले बयानवीरों पर शख्त कारवाई की आज महती जरूरत है ।मायावती ने एक समय कहा कि भारत को कभी भी हिन्दू राष्ट्र नहीं बनने देंगे ।आखिर मायावती को यह बयान देने की कौन सी जरूरत पड़ गयी ।भारत धर्म निरपेक्ष देश है ।इसे कौन हिन्दू राष्ट्र बना रहा है ?ऐसे भ्रम फैलाने की ईजाजत किसी को नहीं मिलनी चाहिए ।मायावती ने तो यह भी बयान दिया है कि मुस्लिम और दलित एक हो जाएं,तो वे हिंदुओं से जूते साफ करवायेंगी ।मायावती वोट के लिए किसी हद तक गिर सकती हैं,यह बयान उसी की बानगी है ।मायावती की नजर में दलित हिन्दू नहीं हैं ।समाज को तोड़ने वाले इस बयान पर देश के सुरमा नेता खामोश रहे ।मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मैं मुस्लिमों के लिए जिंदा रहूँगा और मरूंगा भी उन्हीं के लिए ।वोट के लिए मुलायम का यह बयान बेहद आहत करने वाला है ।

अगर उन्हें सच में बेहद मुस्लिम प्रेम है,तो वे इस्लाम कबूल कर लें ।मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव ने कहा कि सिर्फ मुस्लिम लड़कियाँ ही हमारी बेटी हैं ।यह बयान धूर्तता की पराकाष्ठा है ।कांग्रेस की तरफ से देश के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गांधी ने कहा कि मैं किसी तरह के हिंदुत्व पर विश्वास नहीं रखता हूँ ।यह सारे नाटक मुस्लिमों को रिझाकर वोट लेने की गरज से सोच-समझकर दिए गए हैं ।यह कतई बर्दाश्त करने योग्य बयान नहीं हैं ।अगर राहुल गांधी को हिंदुत्व पर कोई विश्वास नहीं है,तो आज फिर कौन सी वजह हो गयी जो वे जनेऊ धारण कर के मंदिर-मंदिर जाकर घण्टी और घड़ियाल बजाकर,माथे पर तिलक लगवा रहे हैं ।आजकल एक नया बंदा नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस ने तैयार किया है जो मुस्लिमों को एक होकर भाजपा को हराने का मंत्र दे रहे हैं ।इस देश में ऐसे प्रलाप गृहयुद्ध को निमंत्रण दे रहा है ।इंदिरा गांधी को मौत के घाट उतारने वाला एक सिख ही था और आज एक सिख पगड़ी बांधकर कांग्रेस का किट संभाल रहा है ।देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में सिद्धू ने बयान दिया है कि आये थे गंगा का लाल बनकर और जाओगे दलाल बनकर ।देश के प्रधानमंत्री को लेकर ऐसे बयान देने वालों पर नकेल कसना जरूरी है ।इधर हिमाचल प्रदेश के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने राहुल गांधी की माँ की ओर इशारे कर के गाली दी ।

इस लहजे को भी कतई माफ नहीं किया जाना चाहिए ।यूपी के सपा नेता आजम खान ने भाजपा नेत्री जयाप्रदा की तरफ इशारे करते हुए कहा कि पिछले सत्रह साल से उन्हें पता है कि उनके अंडरवियर का कलर खाकी है ।ऐसे बदजुबान नेता को राजनीति में कतई बने रहने का अधिकार नहीं है ।ऐसी घटिया बयानबाजी के बीच हम दिग्गी राजा दिग्विजय सिंह द्वारा ओसामा बिन लादेन जी,राहुल गांधी द्वारा अजहर मसूद जी और मुरली मनोहर जोशी द्वारा अफजल गुरु जी कहने पर भी गहरी आपत्ति दर्ज करते हैं ।आतंकी सरगना को,महापुरुष की तरह जी लगाकर सम्मान देना,बेहद हास्यास्पद और दुर्भाग्यपूर्ण है ।दिग्विजय सिंह ने फिर से एक नया बखेड़ा खड़ा किया है ।उनका कहना है कि वे हिन्दू हैं लेकिन उन्हें हिंदुत्व में विश्वास नहीं है ।जिनके हाथों लोकतंत्र और संविधान की रक्षा है,वे इस तरह से मर्यादा तोड़कर अपनी बातें लोगों के बीच साझा करें,यह किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है ।अब देश के प्रधानमंत्री को कहते हैं कि चौकीदार चोर है ।बिहार के मधेपुरा सांसद पप्पू यादव अपने विवादित बयान को लेकर विगत कई वर्षों से सुर्खियों में रहे हैं ।पहले वे नेताओं को कुकर्मी, भ्रष्टाचारी,दलाल,माफिया,

बलात्कारी और वैश्या से भी बदतर कहते थे ।फिर संत, महात्मा को कुकर्मी बताकर,उन्हें मारकर गंगा में बहाने की बात कही ।बाद में उन्होंने आम जनता को भी नहीं छोड़ा और कहा कि आम जनता कुकर्मी,भ्रष्टाचारी, दलाल,माफिया और बलात्कारी है ।यही नहीं छठ पर्व को लेकर उन्होंने कहा कि उन्हें इसमें कोई आस्था नहीं है ।देश के सबसे पुराने सांसद शरद यादव ने एक जमाने में कहा था कि वे हरी-हरी चूड़ियों वाली महिलाओं को खेत में काम करते देखना चाहते हैं ।दामिनी प्रकरण के बाद बलात्कार को लेकर शरद यादव ने कहा कि युवाओं को 15 दिन में कम से कम एकबार सैक्स की जरूरत होती है ।समाज को इसपर विचार करना चाहिए ।90 के दशक में लालू प्रसाद यादव ने भूरा बाल साफ करो का नारा दिया ।अब राजद के नायक तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि सवर्ण उनके वोटर नहीं हैं ।राजद ने राज्यसभा में सामान्य वर्ग को मिलने वाले 10 प्रतिशत आरक्षण बिल का पुरजोर विरोध किया था ।तो क्या मानें कि सवर्ण राजद के वोटर नहीं हैं, इसलिए राज्यसभा में इस बिल का पुरजोर विरोध हुआ था ।

अगर सवर्ण राजद के वोटर नहीं हैं,तो फिर तेजस्वी यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह,जगदानंद सिंह और रणधीर सिंह को राजद से टिकट क्यों दिया ?और सवाल यह भी है दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनोज झा को राजद ने राज्यसभा क्यों भेजा और राजद का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाकर क्यों रखा है ।तेजस्वी यादव मैट्रिक तक कि भी शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके हैं लेकिन उन्हें एक तरफ आरक्षण की चिंता सता रही है,तो दूसरी तरफ संविधान और लोकतंत्र खतरे में दिख रहा है । राजनेताओं को नाप-तौलकर और मर्यादा में रहकर बयानबाजी करनी चाहिए ।उनके बयान का सीधा असर जनता पर पड़ता है ।राजनेता मर्यादा में रहें,इसके लिए संविधान में व्यवस्था जरूरी है ।यही नहीं संविधान में विधायक, सांसद से लेकर हर तरह के जनप्रतिनिधि के लिए उनकी शैक्षणिक योग्यता,पात्रता,मानक, कसौटी,पैमाना और सामाजिक अनुभव को लेकर वैधानिक व्यवस्था होनी चाहिए । आखिर में हम ताल ठोंककर खये हैं कि विभिन्न धर्मों के धर्म गुरुओं से भी ज्यादा विषैले और खतरनाक हैं ये सारे नेतागण ।नेतागण समाज की ऐसी गन्दी प्रजाति हैं,जिनकी वजह से पूरा देश जाति-जाति और धर्म-धर्म खेलने को विवश है ।समाज को बांटने वाले और विकास के सबसे बड़े अवरोधक ये नेतागण ही हैं।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह का “विशेष विश्लेषण”

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